Sangli Sadhu Beating Case: विश्व-विख्यात अमेरिकी लेखक मार्क ट्वैन ने कहा था कि सच जब तक अपने जूते पहन रहा होता है, तब तक झूठ आधी दुनिया का सफर तय कर लेता है. अगर झूठ को अफवाह के पंख लग जाएं तो झूठ की रफ्तार प्रकाश की गति से भी तेज हो जाती है. इन दिनों कई राज्यों में बच्चा चोरी की अफवाह उड़ रही है, जिसकी सच्चाई सामने आने से पहले ही भीड़, कई बेगुनाहों को पीट-पीटकर अधमरा (Mob Lynching) कर चुकी होती है.


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बच्चा चोर समझकर साधुओं को पीटा


ऐसा ही हुआ है महाराष्ट्र के सांगली जिले में, जहां लोगों ने बच्चा चोर समझकर चार साधुओं की बेरहमी से पिटाई कर दी. एक अफवाह में इतनी ताकत होती है कि वो भीड़ को किसी की जान लेने पर भी उतारू बना देती है. पहले भीड़ ने गाड़ी में बैठे साधुओं से उनके आधार कार्ड मांगे, जो उन्होंने दिखा भी दिए. लेकिन लोगों की भीड़ तो मानो ये तय कर चुकी थी कि साधुओं की मॉब लिंचिंग करनी है. एक शख्स कार में बैठे एक साधु की टांग पकड़कर खींचने लगता है. फिर दूसरा शख्स बेल्ट से साधु को मारने लगता है. साधु के बाल पकड़कर गाड़ी से बाहर गिरा दिया जाता है और फिर लोग साधु की बेरहमी से पिटाई करने लगते हैं.


ये सब मंगलवार को बच्चा चोरी की अफवाह के चलते हुआ. ये चारों साधु कर्नाटक के बीजापुर से पंढरपुर दर्शन के लिए जा रहे थे. सोमवार रात को चारों साधु सांगली के लवंगा गांव के एक मंदिर में रुके थे. मंगलवार सुबह वो एक दुकान पर रुककर रास्ता पूछ रहे थे. इसी दौरान उन्होंने एक बच्चे से भी रास्ता पूछा. इससे कुछ स्थानीय लोगों को संदेह हुआ और उन्होंने साधुओं को बच्चा चोरी करने वाला गैंग समझ लिया.   


जान बचाने के लिए गुहार लगाते रहे साधु


ग्रामीणों ने साधुओं को लाठी डंडों से पीटा. इस दौरान साधु हाथ जोड़कर रहम की गुहार लगाते रहे लेकिन लोगों के सिर पर भूत सवार था. वो बिना कुछ सोचे और बिना कुछ सुने बस साधुओं को पीट (Mob Lynching) रहे थे. साधु अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे तो उन्हें लोगों ने दौड़कर पकड़ा और फिर पीटा.


वो तो गनीमत रही कि पुलिस वक्त रहते मौके पर पहुंच गई और किसी तरह साधुओं की जान बच पाई. बाद में पता चला कि ये साधु मेरठ के रहने वाले थे और वहीं के श्री पंचमनामा जूना अखाड़े के सदस्य हैं. लोगों ने जब इन्हें पकड़ा तो साधु उनकी स्थानीय भाषा नहीं समझ पा रहे थे. जिस वजह से मामला बिगड़ा और लोगों ने साधुओं की पिटाई कर दी. मॉब लिंचिंग का शिकार हुए साधुओं ने इस घटना की कोई शिकायत या एफआईआर दर्ज नहीं करवाई है. वे पूछताछ के बाद पंढ़रपुर के लिए निकल गए.


आपको याद होगा, दो साल पहले पालघर में भीड़ ने दो साधु समेत तीन लोगों की हत्या कर दी थी. सांगली की घटना, पालघर कांड पार्ट 2 है क्योंकि इन दोनों घटनाओं में कई समानताएं भी है.


पालघर में 2 साधुओं की बेरहमी से हुई थी हत्या


पालघर के गढ़ चिंचले गांव में 16 अप्रैल 2020 को मॉब लिंचिंग की जो घटना हुई थी, उसमें भी साधुओं की मॉब लिंचिंग की गई थी. पालघर में भी मॉब लिंचिंग की वजह बच्चा चोरी की अफवाह ही थी. तब भी बच्चा चोरी के शक में साधुओं को बेरहमी से पीटा गया था. 70 साल के साधु कल्पवृक्ष गिरी और सुशील गिरी के साथ उनके ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. पुलिस ने तब करीब 250 लोगों को गिरफ्तार भी किया था. अफवाह की वजह से भीड़ के हाथों जान गंवाने वाले साधु मुंबई से सूरत अपने गुरू के अंतिम संस्कार में जा रहे थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते पुलिस ने उन्हें हाइवे पर जाने से रोक दिया. जिसके बाद कार सवार साधु ग्रामीण इलाके की तरफ मुड़ गए जहां उन्हें भीड़ ने बच्चा चोर समझकर पीट (Mob Lynching) दिया था.


तब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी और अब सांगली में साधुओं को पीटा गया तो वहां बीजेपी और शिंदे सरकार है. पालघर की घटना पर उस वक्त खूब राजनीति हुई थी और अब सांगली की घटना के बाद भी राजनीति शुरु हो चुकी है.


अफवाह अगर फैल जाए तो क्या हो सकता है. सांगली में साधुओं के साथ जो हुआ, वो तो सिर्फ एक उदाहरण है. इन दिनों देश के कई राज्यों में बच्चा चोरी की अफवाहों वाली तेज हवाएं चल रही हैं. जैसे ही कहीं बच्चा चोरी की अफवाह उड़ती है, भीड़ बेगुनाहों को पकड़कर पीट देती है.


महाराष्ट्र के नांदेड़ में युवक को बांधकर पीटा गया


ऐसी ही एक घटना महाराष्ट्र के नांदेड से भी सामने आई है. जहां बच्चा चोर होने के शक में दो युवकों को भीड़ ने पीट दिया. दरअसल कुछ दिनों से लगातार नांदेड में ये अफवाह फैलाई जा रही थी कि वहां के इलाकों में बच्चा चोर घूम रहे हैं. इसलिए शक के आधार पर भीड़ जहां भी संदिग्ध बच्चा चोर देखती है, तो बिना सोचे समझे पीटने लगती है.
 
अफवाहें जंगल में आग की तरह फैलती है और भीड़तंत्र को जन्म देती हैं. उसमें शामिल हर शख्स के सोचने-समझने की शक्ति चली जाती है. भीड़ का मकसद बस बेगुनाहों को पीटना होता है. ये भीड़तंत्र कभी भी आरोपी को अपना पक्ष बताने का मौका नहीं देता. जिस तरह अफवाह फैलती है वैसे ही भीड़तंत्र के वीडियो भी फैलते चले जाते हैं और फिर मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की सीरीज़ चल पड़ती है. बच्चा चोरी की अफवाह को लेकर भी देश में यही हो रहा है.


यूपी में भी उड़ रही बच्चा चोरी की अफवाहें


उत्तर प्रदेश में तो बच्चा चोरी की ऐसी अफवाह उड़ी हुई है कि किसी भी संदिग्ध शख्स को देखकर भीड़ उसे बच्चा चोर समझ रही है. उत्तर प्रदेश के कई शहरों से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं. प्रतापगढ़ में बच्चा चोरी के शक में एक शख्स पर भीड़ इस कदर टूट पड़ी कि पुलिसवालों के लिए भी उस युवक को भीड़ के चंगुल से निकालना मुश्किल हो गया. पुलिस के मुताबिक जिस युवक को भीड़ ने अपना शिकार बनाया वो मानसिक बीमार है. लेकिन असल में मानसिक बीमार कौन है, ये इस घटना से साफ पता चल जाता है. 
 
लोगों की भीड़ को बस बहाना चाहिए होता है और अफवाह उन्हें वो बहाना दे देती है. जौनपुर में एक शख्स को भीड़ ने पकड़ लिया और बाकी का काम बच्चा चोरी की अफवाह ने कर दिया. लोगों ने इस शख्स को बिना सबूत बच्चा चोर मान लिया और उसकी सजा भी तय कर दी. युवक हाथ जोड़ता रहा. लेकिन अफवाह को सच मान चुकी भीड़ ने युवक को खंभे से बांध दिया. यानी अफवाह की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि कई बार पुलिसवाले भी अपनी ड्यूटी भूलकर भीड़तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं. 


बच्चा चोरी की अफवाह का इतना शोर मचा हुआ है कि भीड़ के हाथों सच की मॉब लिंचिंग हो रही है और ये सिर्फ एक राज्य या किसी एक शहर में हो रहा हो, ऐसा भी नहीं है.  
महाराष्ट्र से पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में बच्चा चोरी की अफवाह का असर इतनी तेजी से हुआ है कि जगह-जगह से बच्चा चोरी के शक में बेगुनाह लोगों की मॉब लिंचिंग हो रही है.


पीलीभीत में भीड़ में मां-बाप को पीटा


पीलीभीत की ही घटना को लीजिए, बाइक सवार एक दंपति अपनी मानसिक तौर पर बीमार बेटी को डॉक्टर के पास लेकर जा रहा था. लोगों की भीड़ ने बिना कुछ जाने पूछे दोनों की पिटाई कर दी. बाद में पता चला कि दंपति अपनी बेटी को ही लेकर जा रहा था. यूपी के बिजनौर में सैकड़ों गांव वालों ने एक महिला को सिर्फ इस शक में पकड़ लिया कि वो गांव में खेल रहे बच्चों के पास चली गई थी. लोगों को लगा कि ये भी बच्चा चोर है. 


उत्तराखंड के उधमसिंहनगर में स्कूली छात्रों ने एक युवक को बच्चा चोर होने के शक में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा (Mob Lynching). हालांकि, मौके पर मौजूद लोगों ने बीच-बचाव कर युवक को छात्रों के चंगुल से छुड़ाया. बिहार में भी बच्चा चोरी के शक में भीड़ के हाथों बेगुनाहों की पिटाई के वीडियो लगभग रोज ही सामने आ रहे हैं. पटना से लेकर मुजफ्फरपुर तक बच्चा चोरी की अफवाह को सच मानकर भीड़..सड़क पर ही न्याय करने में जुटी है और कानून को अपने हाथों में लेने से जरा भी नहीं डर रही.


पुलिस ने अब तक 15 मुकदमे दर्ज किए


बच्चा चोरी की अफवाह को सच मानकर मॉब लिंचिंग के ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. अकेले उत्तर प्रदेश में 25 से ज्यादा जिलों में अफवाह पर मॉब लिंचिंग के मामले सामने आ चुके हैं. देवबंद में बच्चा चोरी के शक में एक शख्स को भीड़ ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई. वहीं लखनऊ, से लेकर अलीगढ़ और प्रयागराज से लेकर उन्नाव तक बच्चा चोरी के शक में मॉब लिंचिंग की घटनाएं पिछले कुछ दिनों में ही सामने आ चुकी हैं. पुलिस ने 15 से ज्यादा FIR दर्ज कर अब तक 35 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया है. बच्चा चोरी की अफवाह पर मारपीट की घटनाएं कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइये कि मॉब लिंचिंग के आरोपियों पर यूपी में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA लगाने के निर्देश दिए गए हैं.


हमें ये भी समझना होगा कि आखिर एक साथ कई राज्यों में और अलग-अलग शहरों में एक ही अफवाह क्यों फैल रही है और मॉब लिंचिंग की एक जैसी घटनाएं क्यों हो रही हैं. ये समझने के लिए आपको अफवाह के फैलने की क्रोनोलॉजी को समझना होगा. सोशल मीडिया और खासकर Whatsapp पर कई दिनों से बच्चा चोरी गैंग के सक्रिय होने के दावे वाले वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही थीं.


आखिर कैसे फैल रही हैं ये अफवाहें


अफवाह फैलाने वाले इन वायरल मैसेज का असर ये हुआ कि एक तो लोग खुद डर गए और दूसरा ये कि हर अनजान इंसान को बच्चा चोर की नजर से देखने लगे. बाकी का काम बच्चा चोरी के शक में मॉब लिंचिग (Mob Lynching) के वायरल Videos ने कर दिया, जो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे. जिसके बाद बच्चा चोरी की अफवाह को लोग सच मानने लगे और जगह-जगह से बच्चा चोरी के शक में मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आने लगीं. एक रिसर्च के मुताबिक बच्चा चोरी की अफवाह से होने वाले मॉब लिचिंग के 77 प्रतिशत मामलों में अफवाह फैलाने का सोर्स सोशल मीडिया होता है.


भारत में भी कई बार ऐसी अफ़वाहें फैल चुकी हैं . एक इंटरनेशनल रिसर्च के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान दुनिया में सबसे ज्यादा अफवाहें भारत में फैली थीं. स्टडी में बताया गया है कि भारत में अधिकतर लोगों के पास इंटरनेट की पहुंच है, जबकि इंटरनेट साक्षरता काफी कम है . इसी वजह से भारत में अफवाहें आसानी से फैल जाती हैं. हम उस देश के वासी हैं जहां कभी गणेश जी की मूर्ति के दूध पीने की अफवाह फैली थी, बताइये क्या हमें ये मानने में भी परेशानी हो सकती है कि मूर्तियां दूध नहीं पी सकतीं. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हम ऐसी उल्टी-सीधी बातों पर यकीन कैसे कर लेते हैं . इसका भी अपना एक मनोविज्ञान है. दरअसल सोच-विचारकर किसी भी बात पर भरोसा करने के बजाय अटकलों पर यक़ीन कर लेने में दिमाग पर जोर नहीं डालना पड़ता.


किसी भी जानकारी पर एकदम भरोसा न करें  


अब बच्चा चोरी की अफवाह को लेकर भी ऐसा ही हो रहा है. बिना सच्चाई जाने भीड़ लोगों को पीट रही है और सिर्फ शक के आधार पर मौत के घाट उतार रही है. 
साइकोलॉजी के मुताबिक सत्य घटना से ज्यादा किसी अफवाह पर लोगों को जल्दी विश्वास हो जाता है. एक रिसर्च के मुताबिक सोशल मीडिया पर कोई अफवाह, किसी सच्ची खबर से छह गुना तेजी से फैलती है. इसका सबसे बड़ा कारण ज्ञान की कमी होती है क्योंकि इससे लोग भ्रामक और झूठी खबरों को भी सच मान लेते हैं और फिर यही गलत जानकारी अफवाह बन जाती है.


अफवाह के फैलने की दूसरी सबसे बड़ी वजह समाज में फैला कंफ्यूज़न होता है. जब समाज दुनिया में हो रही चीज़ों को लेकर कंफ्यूज़ होता है और उनके बारे में कोई क्लियर राय नहीं बना पाता तो अफवाहें तेजी से फैलती है. चिंता और उत्सुकता के माहौल में अफवाहों को और तेजी मिलती है. वर्ष 2006 में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादा चिंताग्रस्त या उत्सुक लोग, जल्दी अफवाह का शिकार होते हैं और फैलाते हैं. अफवाहों पर हुईं तमाम रिसर्च और शोध में एक जरूरी बात निकलकर सामने आई है कि अफवाहें तब भी तेजी से प्रसारित होती हैं, जब वो बहुत महत्वपूर्ण हों और लोगों के जीवन से सीधे जुड़ी हों . बच्चा चोरी एक ऐसी ही अफवाह है.


कोई कदम उठाने से पहले विवेक से काम लें


अफवाह पूरी दुनिया में फैलती हैं और हमेशा से फैलती रही हैं. इन्हें किसी कानून से नहीं रोका जा सकता. ये तभी हो सकता है जब समाज अपने दिमाग पर जोर डाले और किसी भी बात पर यकीन करने से पहले उस पर सोचे, विचार करे और सवाल उठाए. खुद से पूछे कि क्या ऐसी बातों पर आसानी से यकीन किया जा सकता है. और क्या ऐसा होना मुमकिन है. अगर हम किसी भी अफवाह को सच मानने से पहले इन बातों को सोचना शुरु कर दें तो अफवाह का शिकार होने से बच सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं. वरना आज बच्चा चोरी की अफवाह को लेकर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. आगे कोई और अफवाह भीड़ को दूसरों की जान लेने का लाइसेंस दे देंगी.


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