आखिर 70 साल बाद कश्मीर से खत्म हो गया धारा 370 का झमेला. अब क्या होगा !! जो होगा सो होगा ही. इस पर पूरा देश माथापच्ची कर रहा है.. और सरकार ने भी सोच समझकर ये फैसला किया होगा.. निबटने के इंतज़ाम भी किए ही होंगे, फिर किस बात की चिंता ?? ये तो थी बात काम की. अब हम करते हैं बात. फिजूल की. 


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अब ये तो सरकार का फैसला है, जाहिर है समर्थन करने वालों की लंबी लाइन लगी होगी.लेकिन अगर कोई खिलाफत ना करे तो फिर राजनीति कैसी होगी.एक नेता तो तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि वो गुलाम हैं या आज़ाद.


एक पार्टी बहन जी की भी है जो रहती तो हमेशा विपक्ष में हैं, लेकिन बात उन्हें ज्यादातर सरकार की ही अच्छी तरह समझ में आती हैं. अब सरकार चाहे जो भी हो.



लेकिन हद तो उनकी है जिनका कश्मीर में ना नेता और ना वर्कर, उन्हें भी अपनी ही समर्थन वाली सरकार के इस कदम से ऐतराज़ है. कश्मीर के अबदुला तो सरकार ने ले लिए हिरासत में तो फिर दीवाने अब्दुल्ला बनने की ज़िम्मेदारी इन्होंने ही उठा ली है.


जब वोट की राजनीति अपनों को ही खिलाफत करने पर मजबूर कर रही है तो फिर जो पार्टी 65 साल राज करके विपक्ष में आई तो उनका तो हक ही बनता है विरोध करें.


लेकिन इस पार्टी के हरियाणा के एक बड़े नेता ने सरकार के फैसले का स्वागत करके लोगों के मन में ये शक ज़रुर पैदा कर दिया है कि कहीं ये नेता भी राजघराने को अलविदा तो नहीं बोलने जा रहे.