नई दिल्ली : बहुविवाह और निकाह-हलाला के खिलाफ दायर एक और याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुलंदशहर की रहने वाली 27 वर्षीय फरजाना की याचिका को मुख्य मामले के साथ संलग्न कर दिया. सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी. कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील विकास सिंह को एमिकस नियुक्त किया है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 27 वर्षीय फरजाना ने बहुविवाह और निकाह-हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है.


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दरअसल, फरजाना की शादी 25 मार्च, 2012 को मुस्लिम रीति रिवाजों से अब्दुल कादिर से हुई थी. एक वर्ष बाद फरजाना को पति की पूर्व में हुई शादी का पता चलने पर दोनों में मनमुटाव हो गया. फरजाना का आरोप है कि ससुरालियों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और पति उससे मारपीट करने लगे. वर्ष 2014 में पति ने उसे गैरकानूनी तरीके से तलाक (तीन तलाक) दे दिया. तब से फरजाना अपनी बेटी के साथ माता-पिता के यहां रह रही है.


फरजाना ने याचिका में मांग की है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत)-1937 की धारा-दो को असंवैधानिक करार दिया जाए. धारा-दो निकाह-हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है. लेकिन यह मौलिक अधिकारों (संविधान के अनुच्छेद-14, 15 और 21) के खिलाफ है. निकाह-हलाला के तहत तलाकशुदा महिला को अपने पति के साथ दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है. दूसरे पति को तलाक देने के बाद ही वह महिला अपने पहले पति से निकाह कर सकती है, जबकि बहुविवाह नियम मुस्लिम पुरुष को चार पत्नी रखने की इजाजत देता है.