नई दिल्ली: एक संसदीय समिति यह सिफारिश कर सकती है कि सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (प्रताड़ना निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को कमजोर बनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करे. सामाजिक न्याय पर संसद की स्थायी समिति के सदस्यों ने दलगत भावना से ऊपर उठते हुए कहा कि वे लोग अगले हफ्ते होने वाली समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाएंगे.


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समिति सामाजिक न्याय मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाएंगी
एक सदस्य ने बताया कि समिति फैसले पर चर्चा के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाएंगी. सामाजिक न्याय मंत्रालय एससी/ एसटी( प्रताड़ना निवारण) अधिनियम के लिए नोडल मंत्रालय है. एक अन्य सदस्य ने बताया कि समिति के सदस्यों का विचार है कि सरकार को फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम( एनएसएफडीसी) की सूक्ष्म वित्त योजना के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए अगले हफ्ते भाजपा सांसद रमेश बैस की अध्यक्षता वाली 30 सदस्यीय समिति की बैठक होने का कार्यक्रम है. 


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केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान और रामदास अठावले ने यह मांग की है कि सरकार आदेश के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करे. वहीं, भाजपा के कई सांसद भी इस फैसले को लेकर परेशान हैं और उन्होंने अपने विचार से पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया है.


पिछले हफ्ते दिया था सुप्रीम कोर्ट ने आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते आदेश दिया था कि इस कानून के तहत दर्ज शिकायत पर कोई फौरी गिरफ्तारी नहीं होगी. न्यायालय ने कहा था कि इस अधिनियम के तहत किसी लोक सेवक को गिरफ्तार करने से पहले कम से कम डीएसपी स्तर के एक अधिकारी द्वारा शुरूआती जांच अवश्य करानी होगी.