SCO Foreign Ministers Conference 2023 in Goa: SCO मेंबर्स के विदेश मंत्रियों का 2 दिवतीय सम्मेलन आज से गोवा में होने वाला है. दो दिन तक चलने वाले सम्मेलन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है. इस बैठक में भारत के साथ ही रूस, चीन, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, पाकिस्तान समेत कई देशों के विदेश मंत्री भाग लेंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) भी बैठक में शामिल होने गोवा आ रहे हैं. हालांकि भारत उनकी सम्मेलन में सहभागिता को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं है. 


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गोवा पहुंच गए डॉ एस जयशंकर


इस सम्मेलन (SCO Foreign Ministers Conference 2023) शामिल होने के लिए भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर बुधवार शाम ही गोवा पहुंच गए हैं. वे सम्मेलन से पहले रूस, चीन और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्री के साथ उनकी कोई वार्ता नहीं रखी गई है.


12 साल बाद भारत आ रहे पाकिस्तानी विदेश मंत्री


सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत की यात्रा की थी. उसके बाद भारत में हुए कई आतंकी हमलों की वजह से दोनों देशों के संबंध बिगड़ते चले गए और भारत ने शर्त रख दी कि आतंक के साथ-साथ बातचीत नहीं चल सकती. उसके बाद करीब 12 साल बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आ रहा है. 


क्या आगे बढ़ेगी रिश्तों की गाड़ी?


राजनयिक सूत्रों के मुताबिक SCO सम्मेलन (SCO Foreign Ministers Conference 2023) में बेशक भारत-पाकिस्तान की द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी लेकिन बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) की इस यात्रा को फिर भी अहम माना जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री के भारत आने से दोनों देशों के बीच संबंधों की गाड़ी आगे बढ़ सकती है और दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता साफ हो सकता है. 


फिर चीन को खरी-खरी सुनाएगा भारत


बिलावल भुट्टो के आने से पहले पहले पाकिस्तानी पत्रकारों का एक दल इस सम्मेलन (SCO Foreign Ministers Conference 2023) को कवर करने के लिए अटारी बॉर्डर के जरिए  बुधवार को भारत में प्रवेश कर चुका है. अब यह दल हवाई जहाज के जरिए गोवा पहुंचेगा और इस पूरे सम्मेलन को कवर करेगा. भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस सम्मेलन में भारत एक बार फिर चीन (India China) को खरी-खरी सुनाने से परहेज नहीं होगा. वह एक फिर साफ करेगा कि सरहद पर शांति के बिना दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हो सकते. 


पश्चिमी देशों की भी लगी हुई हैं निगाहें


इस सम्मेलन के नतीजों पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की भी नजरें लगी हुई हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देश पुतिन को झुकाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. वे रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध भी लगा चुके हैं लेकिन भारत और चीन के समर्थन की वजह से रूस पर उनके प्रतिबंधों का खास असर नहीं पड़ रहा है. अगर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचने और अमेरिकन डॉलर के बजाय कोई वैकल्पिक मुद्रा के चलन के लिए SCO देश सहमत हो जाते हैं तो यह पश्चिमी देशों के बड़ा झटका होगा.