Sengol in New Parliament Building: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 28 मई को नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. हालांकि, 19 विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग की है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस मौके पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी और नए संसद भवन में सेंगोल (Sengol) को स्थापित किया जाएगा, जिसका इतिहास देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) से जुड़ा है.


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क्या है सेंगोल और इसका इतिहास?


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया, 'संसद के नए भवन के उद्घाटन के मौके पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी. इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है और इसे तमिल में सेंगोल (Sengol) कहा जाता है. इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है.' अमित शाह ने आगे बताया, '14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी. इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. सेंगोल (राजदंड) ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी. यह सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था.' उन्होंने बताया,'सेंगोल की जानकारी पीएम मोदी (Narendra Modi) को मिली तो गहन जांच करवाई गई. फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए. इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.' 


जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा है सेंगोल का इतिहास


सेंगोल (Sengol) का इतिहास देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) से जुड़ा है. अमित शाह (Amit Shah) ने बताया, 'देश की आजादी के समय जब पंडित जवाहरलाल नेहरू से सत्ता हस्तांतरण को लेकर सवाल किया गया कि इसके लिए क्या आयोजन होना चाहिए. इसके बाद उन्होंने अपने सहयोगियों से बात की और सी गोपालाचारी से पूछा गया. इसके बाद सेंगोल (Sengol) को चिन्हित किया गया और फिर सेंगोल को तमिलनाडु से मंगवाया गया. इसके बाद पंडित नेहरू ने सत्ता हस्तांतरण के लिए अंग्रेजों से सेंगोल (राजदंड) को स्वीकार किया.


आजादी के बाद 75 सालों तक कहां था सेंगोल?


अमित शाह (Amit Shah) ने बताया, 'अब से पहले सेंगोल (Sengol) इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था. लेकिन, इसका इतिहास काफी पुराना है और इसे संग्रहालय में रखना ठीक नहीं है. यह अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है और अब यह आजादी के अमृतकाल का प्रतिबिंब होगा.' उन्होंने बताया, 'नए संसद भवन के उद्घाटन के समय तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम मोदी को सेंगोल देंगे और इसके बाद इसे संसद में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा. सेंगोल की स्थापना के लिए संसद से पवित्र स्थान नहीं हो सकता.'


चोला साम्राज्य से जुड़ा है सेंगोल का इतिहास


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बताया, 'सेंगोल (Sengol) का इतिहास काफी पुराना है और यह चोला साम्राज्य से जुड़ा हुआ है. इसकी महत्वपूर्ण बात है कि यह जिसे प्राप्त होता है, उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है. सेंगोल राजदंड औपचारिक अवसरों पर सम्राट द्वारा ले जाया जाता था और इसका उपयोग उनके अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था.' बता दें कि सेंगोल शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से 'संकु' शब्द से हुई है, जिसका अर्थ 'शंख' है. हिंदू धर्म में शंख को काफी पवित्र माना जाता है.