Shahabuddin: लालू-तेजस्वी को समझ आ गई `मिस्टेक`, 2025 के चुनाव में चलेंगे `शहाबुद्दीन कार्ड`!
Bihar Politics: बुधवार को जब राजद सुप्रीमो लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मुलाकात की तो सियासी गलियारों में सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया. सूत्रों के मुताबिक, हिना अपने बेटे ओसामा शहाब के साथ आरजेडी की `लालटेन` थाम सकती हैं.
RJD: मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी और बेटा जल्द ही आरजेडी में शामिल हो सकते हैं, जिसे बिहार के सिवान में शहाबुद्दीन 2.0 की शुरुआत माना जा रहा है. शहाबुद्दीन की 3 साल पहले तिहाड़ जेल में मौत हो गई थी. 15 साल पहले शहाबुद्दीन ने अपना आखिरी चुनाव लड़ा था.
बुधवार को जब राजद सुप्रीमो लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मुलाकात की तो सियासी गलियारों में सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया. सूत्रों के मुताबिक, हिना अपने बेटे ओसामा शहाब के साथ आरजेडी की 'लालटेन' थाम सकती हैं.
पिछले साल सिवान से निर्दलीय लड़ा था चुनाव
हिना ने पिछले साल सिवान से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. यह 2009 के बाद पहली बार था, जब आरजेडी ने उनको टिकट नहीं दिया था. यह मोहम्मद शहाबुद्दीन की ही सीट थी. हिना JDU की विजयलक्ष्मी देवी के सामने 92000 वोटों से चुनाव हार गई थीं.
आरजेडी सूत्रों ने बताया कि शहाबुद्दीन की पत्नी और बेटा तेजस्वी यादव की आगामी यात्रा के दौरान आरजेडी का हाथ थाम सकते हैं. लेकिन फिलहाल दोनों ने किसी तरह का कोई वादा नहीं किया है.
राजद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हार के बावजूद हिना को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार 2.93 लाख वोट मिले थे. जबकि हमारे उम्मीदवार को 1.98 लाख वोट मिले थे. हालांकि साल 2009 से ही सिवान लोकसभा सीट से हिना नहीं जीत पाई हैं. उनके पति शहाबुद्दीन को कई मामलों में दोषी पाया गया था, जिसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ पाए. लेकिन बावजूद इसके सिवान और उसके आसपास के एरिया में शहाबुद्दीन फैक्टर बरकरार है.'
1996-2004 तक शहाबुद्दीन थे सांसद
मोहम्मद शहाबुद्दीन 1996 से 2004 तक सीवान के सांसद थे और इलाके में बेहद लोकप्रिय भी. दो चुनाव वह आरजेडी के टिकट पर जीते थे. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हिना ने सीवान से फिर से टिकट के लिए आरजेडी से संपर्क किया था, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया. पार्टी का मानना है कि इससे मुसलमानों का एक वर्ग अलग-थलग पड़ गया और पड़ोसी सारण से भी आरजेडी की हार का एक कारण यह भी था, जहां से लालू की बेटी रोहिणी आचार्य उम्मीदवार थीं.
इसी ठीक ठाक मुस्लिम आबादी के कारण सिवान, गोपालगंज और सारण की राजनीति में आरजेडी का दबदबा साल 2004 तक रहा. इसके बाद बीजेपी-जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी के सामाजिक समीकरण के कारण वह इन सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई. हालांकि, राजद ने 2015 और 2020 समेत विधानसभा चुनावों में यहां काफी अच्छा प्रदर्शन किया है.
राजद नेता ने कहा, अब पार्टी की नजर 2025 विधानसभा चुनावों पर है और पार्टी के यहां अच्छा परफॉर्म करने के चांस हैं क्योंकि जेडीयू काफी कमजोर पड़ चुकी है.
एक अन्य राजद नेता ने कहा, "शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के भी राजनीतिक ख्वाब हैं और वे 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते होंगे. इसलिए राजद और शहाबुद्दीन परिवार को एक-दूसरे की जरूरत है.''