सोनीपत: एक्टर नसीरूद्दीन शाह की टिप्पणी पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सवाल किया है कि क्या शाह को इतने वर्षों तक देश में कोई परेशानी महसूस हुई . बीजेपी नेता ने आज यहां कहा कि जिस ढंग से देश में उन्हें मान-सम्मान मिला, ऐसा ही उनके बच्चों को भी मिलेगा . शाहनवाज हुसैन ने कहा,‘उन्हें चिंता करने और ऐसे बयान देने की आवश्यक्ता नहीं है .’


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तीन राज्यों में बीजेपी का जनाधार खिसकने के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी नेता ने स्पष्ट किया,‘पार्टी का जनाधार खिसका नहीं, अपितु फिसला है. भविष्य में संगठन इसके कारणों पर संज्ञान लेते हुए लोकसभा चुनाव से पहले इसमें सुधार करेगा.’


हुसैन ने कहा कि देश की जनता के लिए केंद्र सरकार समर्पित भाव से बिना रूके और बिना थके काम कर रही है ऐसे में लोग नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं. 


हुसैन ने कहा,‘देश में पहली बार एक-दूसरे को फूटी आंख न सुहाने वाले राजनीतिक दल एक मंच पर आए हैं, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोक कर देश के संसाधन का दोहन कर सकें .’


क्या कहा था नसीरुद्दीन शाह ने?
बता दें नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि कि ‘जहर फैलाया जा चुका है’ और अब इसे रोक पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, ‘इस जिन्न को वापस बोतल में बंद करना मुश्किल होगा। जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है। कई क्षेत्रों में हम यह देख रहे हैं कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की मौत से ज्यादा तवज्जो दी गई।' 


शाह ने कहा था, ‘मुझे बचपन में धार्मिक शिक्षा मिली थी। रत्ना (अभिनेता की पत्नी) एक प्रगतिशील घर की थी और उसे ऐसा कुछ नहीं मिला। और हमने तय किया कि हम अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं देंगे क्योंकि मेरा मानना है कि किसी के अच्छे होने या बुरे होने का धर्म से कोई लेना देना नहीं है।' 


शाह ने कहा, ‘हमने अपने बच्चों को अच्छे और बुरे में भेद बताया, जिसमें हमारा विश्वास है। मैंने उन्हें कुरान शरीफ की कुछ आयतें पढ़ना भी सिखाया क्योंकि मेरा मानना है कि इससे उच्चारण स्पष्ट होता है। यह वैसे ही जैसे रामायण या महाभारत को पढ़ने से किसी का उच्चारण सुधरता है।'


उन्होंने कहा, ‘मैं अपने बच्चों के लिए चिंतित हूं क्योंकि कल को अगर भीड़ उन्हें घेरकर पूछती है, ‘तुम हिंदू हो या मुसलमान?’ तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। यह मुझे चिंतित करता है और मुझे नहीं लगता कि इन हालात में जल्द कोई सुधार होगा।’


शाह ने कहा, ‘ये सभी चीजें मुझे डराती नहीं हैं बल्कि गुस्सा दिलाती हैं और मैं मानता हूं कि सही सोचने वाले हर व्यक्ति को गुस्सा होना चाहिए न कि डरना चाहिए। यह हमारा घर है और किसकी हिम्मत है जो हमें हमारे घर से निकाले।' 


(इनपुट - भाषा)