नई दिल्ली: हिंदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी (Sharad Joshi) को हो सकता है कि आज की पीढ़ी न जानती हो. लेकिन इनकी कहानियों पर आधारित धारावाहिक 'लापतागंज' के बारे में सभी जानते होंगे. इस धारावाहिक का प्रसारण 'सब' चैनल पर किया गया और ग्रामीण परिवेश पर आधारित यह शो लोगों के दिलों में भी जगह बनाने में कामयाब रहा था.


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शरद जोशी को हमेशा से लिखने में रूचि थी. यह रूचि इतनी गहराती गई कि उन्होंने सरकारी नौकरी से ही त्यागपत्र दे दिया. जोशी इंदौर में रहकर रेडियो और समाचारपत्रों के लिए लिखने लगे. इसके बाद उन्होंने ऐसी कई कहानियां लिखीं जो व्यंग्यकार के रूप में उन्हें सफल कर गईं. आज शरद जोशी के जयंती के मौके पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी ये 10 बातें-


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1. शरद जोशी का जन्म 21 मई, 1931 को मध्यप्रदेश के उज्जैन में हुआ था.


2. मध्यप्रदेश सरकार के सूचना एवं प्रकाशन विभाग में काम किया, हालांकि बाद में उन्होंने इस सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया था.


3. शरद जोशी भारत के पहले व्यंग्यकार थे, जिन्होंने सन् 1968 में पहली बार मुंबई में चकल्लस के मंच पर अपनी कविताएं पढ़ी थीं. इस मंच पर हास्य कविताएं पढ़ी जाती थीं. जोशी ने भी गद्य और हास्य-व्यंग्य में अपना लोहा मनवाया.


4. शरद जोशी की लिखी ‘दूसरी सतह’, ‘प्रतिदिन’, ‘परिक्रमा’ और ‘किसी बहाने’ प्रमुख व्यंग्य कृतियां हैं.


5. शरद जोशी ने ‘क्षितिज’, ‘छोटी सी बात’, ‘सांच को आंच नहीं’ और ‘उत्सव’ जैसी फिल्मों की कहानियां भी लिखीं.


6. शरद जोशी ने ‘ये जो है जिंदगी’, ‘विक्रम बेताल’, ‘वाह जनाब’, ‘देवी जी’, ‘ये दुनिया गजब की’, ‘दाने अनार के’ और ‘लापतागंज’ जैसे यादगार धारावाहिकों को भी लिखा.


7. शरद जोशी ने ‘मैं, मैं, केवल मैं’ और ‘उर्फ कमलमुख बी.ए.’जैसे चर्चित उपन्यास भी लिखे.


8. मध्यप्रदेश सरकार ने इनके नाम पर ‘शरद जोशी सम्मान’ भी शुरू किया.


9. शरद जोशी ने कई जाने-माने समाचार पत्रों के लिए भी कई लेख लिखे, जो काफी चर्चित भी रहे.


10. 5 सितंबर, 1991 को मुंबई में शरद जोशी ने अंतिम सांस ली थी.