India News in Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ वाली कथित टिप्पणी पर कांग्रेस नेता शशि थरूर की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने थरूर के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को निरस्त करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया प्रधानमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘घृणित और निंदनीय’ हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथमदृष्टया टिप्पणियों से प्रधानमंत्री, भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की मानहानि हुई है. न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने मानहानि की कार्यवाही को चुनौती देने वाली थरूर की याचिका खारिज कर दी.


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पीएम की मानहानि...


निचली अदालत में लंबित मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने के अनुरोध वाली थरूर की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत उन्हें समन जारी करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है.


उच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर 2020 को मानहानि शिकायत में, तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. इसने गुरुवार को अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया और संबंधित पक्षों को 10 सितंबर को निचली अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया.


जज ने क्या कहा


न्यायाधीश ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘कार्यवाही निरस्त करने का कोई आधार नहीं बनता है और न्याय के हित में यह उचित होगा कि कार्यवाही को निचली अदालत के समक्ष जारी रखने की अनुमति दी जाए.’ थरूर ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को निरस्त किए जाने का अनुरोध किया था. निचली अदालत ने थरूर को भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत पर आरोपी के रूप में तलब किया था. उन्होंने 2 नवंबर, 2018 को दायर की गई शिकायत को भी रद्द करने का अनुरोध किया था.


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बब्बर ने थरूर के खिलाफ निचली अदालत में आपराधिक शिकायत दायर की थी और दावा किया था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने 51 पृष्ठ के फैसले में कहा, ‘प्रथमदृष्टया, एक वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप घृणित और निंदनीय हैं. भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मानहानि करने के अलावा, भारतीय जनता पार्टी तथा इसके पदाधिकारियों और सदस्यों को भी बदनाम करते हैं.’


थरूर ने कहा क्या था


अदालत ने कहा कि चूंकि शिकायत दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर द्वारा दर्ज कराई गई है, इसलिए वह सीआरपीसी की धारा 199 के तहत 'व्यथित व्यक्ति' के दायरे में आते हैं. अक्टूबर 2018 में, थरूर ने दावा किया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक अनाम नेता ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की है.


थरूर को जून 2019 में निचली अदालत ने संबंधित मामले में जमानत दे दी थी. शिकायतकर्ता ने कहा था, ‘मैं भगवान शिव का भक्त हूं... हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिवभक्तों की भावनाओं का पूरी तरह अनादर किया (और) बयान दिया जिससे भारत में तथा देश के बाहर मौजूद सभी शिवभक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची.’ शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत दर्ज की गई थी. (भाषा)


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