मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी ने 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को 'बघनखा' से मारा था. इस वक्‍त यह लंदन स्थित म्‍यूजियम में मौजूद है. महाराष्‍ट्र सरकार उसको वहां से लाने का प्रयास कर रही है. इस बीच इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने यह दावा करते हुए विवाद खड़ा कर दिया है कि महान शासक द्वारा इस्तेमाल किया गया वह 'बघनखा' राज्य के सतारा में ही मौजूद है. लिहाजा लंदन के म्‍यूजियम में रखा बघनखा असली नहीं है. 


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सावंत ने कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा, बघनखा को तीन साल के लिए 30 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर महाराष्ट्र लाया जा रहा है. इस बारे में मैंने लंदन स्थित विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय को पत्र लिखा था. उन्‍होंने अपने जवाब में कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह बघनखा छत्रपति शिवाजी महाराज का है.


सावंत ने दावा किया, 'मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के नेतृत्व में महाराष्ट्र की टीम जो ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए लंदन गई थी, को यह जानकारी प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है. असली बघनखा सतारा में ही है.'


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'1818-1823 के बीच गया लंदन'
एक अन्य शोधकर्ता पांडुरंग बालकावड़े ने एक मराठी टीवी चैनल को बताया कि प्रतापसिंह छत्रपति ने 1818 और 1823 के बीच ब्रिटिश अधिकारी 'ग्रांट डफ' को अपने निजी संग्रह से 'बघनखा' दिया था. उन्होंने कहा कि डफ के वंशजों ने इसे संग्रहालय को सौंप दिया था. हालांकि इस पर भी सावंत का कहना है कि डफ के भारत छोड़ने के बाद प्रतापसिंह छत्रपति ने कई लोगों को 'बघनखा' दिखाया.


इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्‍ट्र सरकार में मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि यह सर्वविदित है कि 'भवानी तलवार' और 'बघनखा' लंदन में हैं. राज्य सरकार ने पिछले साल 'बघनखा' को हासिल करने के लिए लंदन स्थित संग्रहालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे. 


उन्‍होंने कहा, 'हमारी सरकार ने विवरणों का सत्यापन किया और फिर एमओयू पर हस्ताक्षर किए. यदि इतिहासकारों की कोई अन्य राय है तो हमारी सरकार इस मुद्दे को स्पष्ट करेगी.'


(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)