India-China Border Near Ladakh: भारतीय सेना ने लद्दाख में भारत-चीन सीमा के निकट पैंगांग लेक में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई है उस पर तारीफ के साथ विरोध के स्‍वर उठ रहे हैं. इस क्षेत्र में प्रतिमा की उपस्थिति जहां भारत की सामरिक और सांस्‍कृतिक उपस्थिति को दर्शाती है वहीं लद्दाख की विरासत और पारिस्थितिक तंत्र की उपेक्षा का भी आरोप लगाया जा रहा है. चुसुल के काउंसलर कोनचो स्‍टानजिन ने कहा है कि इस काम को करने से पहले स्‍थानीय समुदाय से कोई परामर्श नहीं लिया गया. उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा कि हमारी विशिष्‍ट पर्यावरण और वाइल्‍डलाइफ को देखते हुए बिना लोकल परामर्श के इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है. यहां पर इसके औचित्‍य पर सवाल खड़ा होता है. हमें ऐसे प्रोजेक्‍टों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो हमारे समुदाय और नेचर के प्रति सम्‍मान प्रकट करते हुए उसको प्रतिबिंबित करे. 


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स्‍टानजिन की बातों ने एक बार फिर राष्‍ट्रीय प्रतीकों, स्‍थानीय पहचान और पारिस्‍थतिकी तंत्र की बहस को शुरू कर दिया है. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को लेकर जहां समर्थक इसको भारत की राष्‍ट्रीय एकता और अखंडता के हस्‍ताक्षर के रूप में देख रहे हैं वहीं आलोचक कह रहे हैं कि इसमें समावेशी दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए था जिसमें लद्दाख की अनोखे सांस्‍कृतिक कलेवर और पास्थितिक तंत्र की छाप दिखती. 



शिवाजी की प्रतिमा
सेना के अनुसार, शिवाजी की यह प्रतिमा वीरता, दूरदर्शिता और अटूट न्याय का विशाल प्रतीक है. सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने एक बयान में कहा, '26 दिसंबर 2024 को पैंगोंग त्सो के तट पर 14,300 फीट की ऊंचाई पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया गया.


पैंगोंग वह झील है जिसके पानी से होते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) गुजरती है, जो भारत और चीन की सीमा है. झील का पश्चिमी सिरा भारत के क्षेत्र में हैं और पूर्वी छोर चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में. यह वह इलाका है जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर कई बार संघर्ष देखा है. अगस्त 2017 में इसी झील के किनारे पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. मई 2020 में भी करीब 250 सैनिक आमने-सामने आ गए थे.


लद्दाख में चीन को आंख दिखाएंगे छत्रपति शिवाजी, 14300 फीट की ऊंचाई पर पैंगोंग लेक के किनारे लहराया परचम


अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने झील के दक्षिणी किनारे की अहम ऊंचाइयों पर कब्जा कर दिया था. इनमें रेजांग ला, रेक्विन ला, ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, गोरखा हिल आदि शामिल थे. हालांकि बाद में डिसइंगेजमेंट के तहत भारत ने ये इलाके खाली कर दिया. अब वहां शिवाजी की प्रतिमा स्थापित किया जाना चीन को एक संदेश की तरह देखा जा रहा है.


30 फीट से ज्यादा ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई है. अपनी अद्भुत सुंदरता और सामरिक महत्व के लिए मशहूर पैंगोंग त्सो अब शिवाजी के इस स्मारक का घर बन गई है. यह प्रतिमा देश के गौरव और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की ताकत को दर्शाती है, खासकर उत्तरी सीमा के चुनौतीपूर्ण इलाकों में.