National News: देश में चल रहा कारतूस के फर्जीवाड़े का रैकेट, खिलाड़ी से लेकर बालू माफिया तक हैं इससे जुड़े
Police And Sand Mafia: बालू माफिया वर्चस्व की खूनी लड़ाई में किराए के अत्याधुनिक हथियारों से हजारों राउंड गोलियां बरसाते हैं लेकिन सोचने वाली बात है कि इन्हें कैसे इतनी आसानी से ये कारतूस मिल जाते हैं?
Delhi Police Cartridges Scam: देश के कई हिस्सों में कारतूस के फर्जीवाड़े का बहुत बड़ा रैकेट चल रहा है. कारतूस फर्जीवाड़े के इस रैकेट के तार कई राज्यों के गन हाउस, निशानेबाज और बिहार के बालू माफियाओं तक जुड़े हुए हैं. दिल्ली पुलिस की एक जांच में फर्जीवाड़े के कई पहलुओं का खुलासा हुआ है. आपको बता दें कि पिछले साल 1 दिसंबर को जी न्यूज ने डीएनए कार्यक्रम में बिहार में बालू और वर्चस्व की खूनी जंग की पूरी सच्चाई आपको दिखाई थी. बताया गया था कि किस तरह बालू माफिया वर्चस्व की खूनी लड़ाई में किराए के अत्याधुनिक हथियारों से हजारों राउंड गोलियां बरसाते हैं. सैकड़ों कारतूसों का ढेर यह बताने के लिए काफी है कि जब बालू माफियाओं में खूनी जंग छिड़ती है तो कैसे गोलियां बरसाई जाती हैं. आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इतनी सारी गोलियां कहां से आती हैं.
आपको बता दें कि पिछले साल दिल्ली पुलिस 15 अगस्त की तैयारियों को लेकर चाक चौबंद थी. गश्त के दौरान 6 अगस्त को पूर्वी दिल्ली की पटपड़गंज पुलिस ने दो संदिग्धों के बैग की तलाशी ली तो 2251 कारतूस बरामद हुए. कारतूस के साथ पकड़े गए लोगों की पहचान अजमल खान और राशिद के रूप में हुई थी. जांच में पुलिस को पता लगा कि ये दोनों आर्म्स सिंडिकेट का हिस्सा हैं. दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई दिल्ली से उत्तराखंड तक खबरों की सुर्खिंया बनी थी. इस मामले में पुलिस देहरादून के एक गन हाउस मालिक सहित सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इस मामले की जांच में कई जानकारियां सामने आ रही हैं.
पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ और पुलिस की जांच में पता चला है कि देहरादून के Royal ARMS Gun House का मालिक परीक्षित नेगी दूसरे गन हाउसों की मिलीभगत से कारतूस फर्जीवाड़े का रैकेट चलाता था. इस फर्जीवाड़े के रैकेट से कारतूसों की खेप बिहार के बालू माफिया सिपाही राय और शत्रुघ्न राय के गैंग तक पहुंचाई जाती थी. इनमें 7.62 mm, .315 बोर आदि से लेकर हरेक तरह के कारतूस होते थे. दिल्ली में पकड़ा गया खेप भी बालू माफिया गैंग के पास ही जाना था.
पुलिस की जांच में यह भी संकेत मिला है कि कारतूस के अवैध कारोबार में कुछ टार्गेट प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ी भी शामिल हैं. दलअसल गृह मंत्रालय ने टार्गेट प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को प्रतिवर्ष करीब 15 हजार कारतूस लेने और आयात करने की अनुमति दी हुई है. इन खिलाड़ियों को मिलने वाले इन हजारों कारतूस का कोई हिसाब नहीं देना होता है. सिस्टम के इस कमी का लाभ उठाकर यह खिलाड़ी उंचे दामों पर गन हाउसों को बेच देते हैं.
बालू माफिया गैंग को कारतूस सप्लाई करने वाले शुभम और गन हाउस के मालिक परीक्षित नेगी ने पुलिस को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है. दिल्ली पुलिस की जांच का शिकंजा कुछ खिलाडियों पर कस भी सकता है. कारतूस के फर्जीवाड़ा करने वाले रैकेट में यूपी के भी कुछ गन हाउस शामिल हैं. जांच में पुलिस को पता लगा है कि गन हाउस केवल वाउचर पर कारतूस देते थे. रॉयल गन हाउस का मालिक परीक्षित नेगी उन्हें दस हजार रु प्रति वाउचर दिया करता था.
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