UP Politics: अबकी बार लोकसभा चुनाव में यूपी के भीतर सपा-कांग्रेस की कामयाबी को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्‍पसंख्‍यक) फॉर्मूले के साथ जोड़कर देखा गया. कहीं न कहीं आरएसएस और बीजेपी भी दबे स्‍वर में इसको स्‍वीकार करते हुए दिखे. अब नौ सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों में भी समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी चयन में अपने पुराने फॉर्मूले पीडीए का इस्तेमाल किया है. समाजवादी पार्टी ने इन उपचुनाव में एक बार फिर पीडीए कार्ड खेलते हुए सबसे ज्यादा नौ में से चार सीटों फूलपुर, कुंदरकी, सीसामऊ और मीरापुर पर मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा है, दो सीटों पर दलित और 3 सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों पर दांव लगाया है.


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इसी वोट बैंक पर सत्तारूढ़ दल भाजपा और बसपा का भी निशाना है. ऐसे में सपा के सामने इस वोट बैंक को बचाने की एक बड़ी चुनौती होगी. भाजपा ने टिकट वितरण में पिछड़े वर्ग से आने वाले चेहरों को तरजीह दी है. सात में से चार ओबीसी चेहरे हैं. तीन सामान्य और एक दलित हैं. इनकी सहयोगी पार्टी रालोद ने भी पिछड़ा कार्ड खेलकर सपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है. 


वहीं एनडीए-इंडिया से दूर रहने वाली बसपा अकेले ही सभी सीटों पर उपचुनाव लड़ रही है. बसपा ने चार सवर्ण, दो मुस्लिम, दो ओबीसी और एक दलित को मौका दिया है.


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बीजेपी खेलेगी हिंदुत्‍व और विकास का कार्ड
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि भाजपा ने उपचुनाव को लेकर पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है. उसने हर बार की तरह एक भी सीट मुस्लिमों को नहीं दी है. उसे अपने हिंदुत्व कार्ड और विकास पर पूरा भरोसा है. इसी कारण सभी सीटों पर मुख्यमंत्री का रोजगार मेला लगा. इसके बाद उनके द्वारा दिया गया स्लोगन 'बंटोगे तो कटोगे' का भी असर दिखा रहा है. सपा ने जवाब में पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को न बंटने देने पर जोर देना शुरू कर दिया है.


उन्होंने बताया कि सपा ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों को टिकट देखकर उनका भरोसा कायम रखने की कोशिश की है. रावत ने कहा कि कांग्रेस के चुनाव न लड़ने से उसके काडर व वोटर का सपा उम्मीदवारों को उस तरह समर्थन मिलना मुश्किल होगा. क्योंकि कांग्रेस के मैदान में न रहने से उसके कार्यकर्ताओं में निराशा है.


सपा प्रवक्ता अशोक यादव कहते हैं कि भाजपा सरकार में पिछड़े दलित का हक लूटा गया है. भाजपा में तमाम पिछड़े नेता हैं. लेकिन 69 हजार भर्ती पर सब चुप रहे. जनता भाजपा को जान चुकी. यह लोग पिछड़े के हितैषी नहीं है. भाजपा उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करना चाहती है, लेकिन सपा ऐसा होने नहीं देगी. बसपा और अन्य दल जो उम्मीदवार उतार रहे हैं. यह लोग पिछले दरवाजे से भाजपा की मदद कर रहे हैं. इसको भी पिछड़ा और दलित समाज जान रहा है. हम लोग नौ की नौ सीट जीतने जा रहे हैं.


ज्ञात हो कि यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी हुई. उम्मीदवार 30 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकते हैं. 13 नवंबर को सभी नौ विधानसभा सीटों पर मतदान कराया जाएगा. वहीं, 23 नवंबर को चुनावों के नतीजे घोषित किए जाएंगे.


जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है, उनमें अलीगढ़ जिले की खैर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, मुरादाबाद की कुंदरकी और मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट शामिल है. इसके अलावा अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट भी रिक्त है, लेकिन इसके निर्वाचन का मामला कोर्ट में होने के कारण यहां अभी उपचुनाव का ऐलान नहीं हुआ.


(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)