Bihar Politics: अभी पिछले महीने की बात है. 9 जून को लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद संसद भवन में एनडीए की पहली बैठक में नीतीश कुमार ने इशारों-इशारों में बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा (special category status) देने की मांग इस अनुरोध के साथ की थी कि अब तो उम्‍मीद है कि वो काम हो जाएगा. उन्‍होंने कहा था, 'बिहार...का भी काम हो ही जाएगा, जो भी बचा है वो भी पूरा कर ही देंगे.' 


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उसके बाद मानसून सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में जेडीयू और वाईएसआर कांग्रेस ने क्रमश: बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग फिर उठाई. लेकिन केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में साफ करते हुए इस मांग पर जवाब दिया कि ऐसा करना संभव नहीं है. सरकार ने कहा कि इस मसले पर पहले भी सरकार की तरफ से अंतर-मंत्रालयीय स्‍तर पर विचार हो चुका है और 2012 में उस रिपोर्ट के आधार पर ही पहले भी इस मांग को खारिज किया गया था. उस वक्‍त ये कहा गया था कि राष्‍ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने विशेष राज्‍य का दर्जा देने संबंधी जो 5 मानक तय किए हैं वो बिहार की स्थिति में लागू नहीं होते. इसलिए बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. 


विशेष राज्‍य का दर्जा (special category status orSCS)
1969 में पांचवें वित्‍त आयोग के सुझावों पर इसको लागू किया गया. सोशल साइंटिस्‍ट धनंजय रामचंद्र गाडगिल ने इस संकल्‍पना को दिया था. वो उस वक्‍त तत्‍कालीन योजना आयोग (मौजूदा नीति आयोग) के डिप्‍टी चेयरमैन थे. गाडगिल फॉर्मूला के तहत विशेष राज्‍य का दर्जा पाने के लिए 5 मानदंड निर्धारित किए गए: 


1. पहाड़ी और कठिन भूभाग.
2. कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा.
3. पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक लोकेशन.
4. आर्थिक और आधारभूत ढांचे का पिछड़ापन.
5. राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति.  


अतीत में योजना आयोग से जुड़ा राष्‍ट्रीय वित्‍त आयोग (एनडीसी), विशेष राज्‍य का दर्जा देता था. इसके तहत 11 राज्‍यों को ये दर्जा दिया गया. 14वें वित्‍त आयोग ने राज्‍यों के लिए विशेष राज्‍य का दर्जा श्रेणी को खत्‍म कर दिया. अब सिर्फ नॉर्थ-ईस्‍ट और तीन पहाड़ी राज्‍यों को ये दर्जा मिला हुआ है. 


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मंझधार में जेडीयू!
दरअसल अबकी बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को नहीं छू सकी. बहुमत के लिए उसको जेडीयू और टीडीपी की दरकार थी. उनके दम पर ही एनडीए सरकार बनी. अपनी बढ़ी हुई ताकत के आधार पर ही जेडीयू ये उम्‍मीद कर रही थी कि संभवतया इस बार उसकी बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा देने संबंधी मांग केंद्र सरकार मान लेगी लेकिन कानूनी प्रावधानों के कारण ऐसा नहीं हो सका. जाहिर सी बात है कि इस पर राजनीति शुरू हो गई है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सीएम नीतीश से इस्‍तीफे की मांग भी कर दी है क्‍योंकि राजद इस मुद्दे को 2025 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए छोड़ना नहीं चाहती. 


इस सूरतेहाल में जेडीयू इस वक्‍त मंझधार में फंस गई है. एक तरफ वो केंद्र के स्‍तर पर एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल है लेकिन वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक स्‍तर पर बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा दिला पाने में असमर्थ है. हालांकि जेडीयू भी कहीं न कहीं इन वर्षों में ये बात समझ गई है कि बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा संभवतया न मिल सके लिहाजा हालिया दौर में उसने अपने स्‍टैंड में थोड़ा लचीलापेश दिखाया है. जेडीयू के नेता कहने लगे हैं कि यदि विशेष राज्‍य का दर्जा या विशेष पैकेज दिया जाए. हाल ही में केंद्र की एनडीए सरकार का हिस्सा बनने के बाद जेडीयू ने इस मामले में अपना रुख लचीला किया है और उसके नेताओं ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि विशेष दर्जा देने में दिक्कत है तो फिर बिहार के लिए विशेष पैकेज ही दे दिया जाए.


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हालांकि बिहार में तेजस्‍वी यादव की पार्टी राजद इस शब्‍दावली पर भी खुश नहीं है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज झा ने सोमवार को राज्यसभा में बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा के साथ-साथ विशेष पैकेज देने की भी मांग उठाई और कहा कि इसके लिए उनकी पार्टी संसद से सड़क तक संघर्ष करेगी.


उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए झा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) पर भी निशाना साधा और कहा कि विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मांग में 'या' के लिए कोई स्थान नहीं है.


उन्होंने जेडीयू की ओर संकेत करते हुए कहा, ''हमारे कुछ साथी जो हमारे साथ काम कर चुके हैं, कहते हैं कि विशेष राज्य न दे सको तो विशेष पैकेज पैकेज दो. विशेष राज्य और विशेष पैकेज के बीच में 'या' नहीं है. बिहार को 'या' स्वीकार नहीं है. विशेष राज्य का दर्जा भी चाहिए और विशेष पैकेज भी चाहिए. हमें दोनों चाहिए. संसद में मांगेंगे, सड़क पर मांगेंगे.'' यानी साफ है कि राजद 2025 के विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे को उछालेगी और बीजेपी एवं जेडीयू को घेरेगी.