Ajit Pawar: इधर अमित शाह महाराष्‍ट्र में थे...उधर अजित पवार ने साथ छोड़ने का क्‍या बना लिया मन?
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Ajit Pawar: इधर अमित शाह महाराष्‍ट्र में थे...उधर अजित पवार ने साथ छोड़ने का क्‍या बना लिया मन?

Maharashtra Politics: पिंपरी चिंचवाड़ शहर में एनसीपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रविवार को अजित पवार ने कहा, 'हालांकि हम लोकसभा और राज्य विधानसभा में सहयोगी हैं लेकिन महायुति के सदस्य स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं.' 

Ajit Pawar: इधर अमित शाह महाराष्‍ट्र में थे...उधर अजित पवार ने साथ छोड़ने का क्‍या बना लिया मन?

Ajit Pawar and Amit Shah: महाराष्‍ट्र में लोकसभा चुनाव हारने के बाद से राज्‍य की सत्‍तारूढ़ महायुति यानी शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. अजित पवार के नेतृत्‍व वाली एनसीपी को जब से आरएसएस की तरफ से हार के लिए जिम्‍मेदार कहा जाने लगा है तभी से महाराष्‍ट्र के भीतर ये आवाज उठने लगी है कि कहीं न कहीं बीजेपी भी अगले तीन महीने के भीतर होने जा रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए अजित पवार को लेकर मंथन कर रही है. क्‍या अजित पवार यदि महायुति में बने रहे तो बीजेपी-शिवसेना के लिए विधानसभा चुनाव जीतना आसान होगा या उनके रहते बाधा बनेगी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व वाली शिवसेना को हिंदुत्‍व की पारंपरिक राजनीति के तहत सहज सहयोगी माना जाता है लेकिन अजित पवार को महायुति में लाना बीजेपी कार्यकर्ताओं और आरएसएस को अखर गया. आरएसएस के मराठी वीकली 'विवेक' में इस बारे में साफ लिखा गया कि पार्टी कैडर को दरकिनार कर अजित पवार जैसे सहयोगी को जोड़ना कहीं न कहीं भाजपा की अपनी सैद्धांतिक इमेज को झटका देने जैसा रहा. 

जाहिर है कि जब एक पक्ष से बात उठेगी तो दूसरी तरफ से भी रिएक्‍शन स्‍वाभाविक रूप से आएगा. अबकी बारी अजित पवार की है. गठबंधन में अपने सहयोगी की तरफ से उठती आवाजों का जवाब एनसीपी नेता अजित पवार ने दिया. उन्‍होंने मौका भी अपने हिसाब से चुना. रविवार को अमित शाह, महाराष्‍ट्र में थे. उसी दिन उन्‍होंने ये कहकर सियासी हलचल मचा दी कि निकाय चुनावों में महायुति गठबंधन के लोग स्‍वतंत्र रूप से अलग-अलग लड़ सकते हैं. यानी भले ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महायुति एक साथ हो लेकिन निकाय चुनावों में इस तरह अलग लड़ने से कार्यकर्ताओं को मजबूती मिलेगी. 

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पिंपरी चिंचवाड़ शहर में एनसीपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रविवार को उन्होंने कहा, 'हालांकि हम लोकसभा और राज्य विधानसभा में सहयोगी हैं लेकिन महायुति के सदस्य स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं.' स्थानीय निकायों में नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत और जिला परिषद शामिल हैं. स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए कार्यक्रम को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. अजित पवार के इस बयान से साफ है कि बदलती सियासी परिस्थितियों को देखते हुए वो भी कहीं न कहीं अपनी अकेले दम तैयारी कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा भी कि स्थानीय निकाय चुनाव जब भी होंगे, समाज के सभी वर्गों से 'नए और पुराने चेहरे' मैदान में उतारे जाएंगे. 

शरद पवार का 'अपमान'!
सिर्फ इतना ही नहीं वो अपने चाचा शरद पवार को लेकर कोई गलतफहमी भी नहीं उपजने देना चाहते. उन्होंने शनिवार को पुणे जिला योजना एवं विकास समिति (डीपीडीसी) की बैठक में शरद पवार को बोलने से रोकने की बात से इनकार किया. बारामती की सांसद सुप्रिया सुले ने दावा किया था कि अजित पवार ने बैठक में उनके पिता द्वारा विकास निधि के वितरण के बारे में सवाल पूछे जाने पर आपत्ति जताई थी. सुले ने कहा था कि अजित पवार ने एक सरकारी प्रस्‍ताव (Government Resolution) का हवाला देते हुए कहा था कि सांसद या विधायक इस तरह की मीटिंग में फंड के वितरण पर सवाल नहीं पूछ सकते या वोटिंग में हिस्‍सा नहीं ले सकते क्‍योंकि वो सिर्फ आमंत्रित होते हैं. शरद पवार ने राज्यसभा सदस्य के तौर पर बैठक में भाग लिया था. 

इस पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए अजित पवार ने कहा, ''सुप्रिया सुले ने कल दावा किया कि मैंने पवार साहब का अपमान किया है. मैं ऐसे व्यक्ति के साथ ऐसा कैसे कर सकता हूं, जिनका मैं बहुत सम्मान करता हूं.'' उन्होंने आरोप लगाया कि सुले का बयान गलतफहमी पैदा करने और सहानुभूति हासिल करने के उद्देश्य से दिया गया है.

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शरद पवार भ्रष्टाचार के 'सरगना' हैं: अमित शाह
अजित पवार ने कहा कि उन्होंने और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार रात पुणे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा की. अमित शाह ने रविवार को विपक्षी नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार पर तीखा हमला किया और उन्हें देश में भ्रष्टाचार का 'सरगना' करार दिया. उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को 'औरंगजेब फैन क्लब' का प्रमुख करार दिया और कहा कि वह 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन के लिए क्षमादान मांगने वाले लोगों के साथ बैठे हैं.

उन्होंने कहा, ''भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार का कोई सबसे बड़ा सरगना है, तो शरद पवार हैं. मेरे दिमाग में इस बारे में कोई संशय नहीं है. मैं खुलकर कह रहा हूं कि पवार ने देश में भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाया.'' हाल में लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद यह शाह की पहली महाराष्ट्र यात्रा रही. महाराष्ट्र में भाजपा ने 2019 में लोकसभा की 23 सीट जीती थी, जो 2024 के चुनाव में घटकर नौ रह गई.

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