आगरा: ब्रज में कालिंदी प्रदूषण (Yamuna Pollution) से कराह रही है. बाबर के राम बाग (Ram Bagh)  से जहांगीर के एत्माद्दौला (Etmauddaula) और अकबर के किले (Red Fort) से शाहजहां के ताजमहल (Taj Mahal) के बीच कुछ किलोमीटर के दायरे में यमुना की स्थिति बेहद दयनीय है. हर तरफ सफेद झाग की चादर, मृत पशुओं के शव, पॉलीथिन बैग, कचरा, मलबा और चारों तरफ बदबू ही बदबू है.


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तमाम शहरों की गंदगी आ रही यमुना में
हिंदुओं में देवी के तुल्य पूजनीय पवित्र यमुना नदी के निकट मुगलों ने तमाम शानदार स्मारक बनवाये लेकिन अफसोस! हमारी सरकारों की उदासीनता के कारण, यमुना आज बदबूदार नहर में बदल गई है. जल स्तर बेहद कम है, साथ ही पानी का बहाव भी कम हो गया है क्योंकि बैराज से पानी की आपूर्ति रोक दी गई है. आगरा में यमुना में जो जल आ रहा है वह औद्योगिक अपशिष्ट है. यह फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, वृंदावन और मथुरा जैसे शहरों से सीवेज डिस्चार्ज के जरिए आ रहा है.

चार महीने का पूर्ण लॉकडाउन और छह महीने के लिए स्मारकों को बंद करना प्रकृति के लिए उपचार का समय साबित हुआ. लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक बार फिर वही हालात बनना शुरू हो गए हैं. आगरा के आसपास कचरा जलाने, त्योहारों पर फैलाई जा रही गंदगी से एक बार फिर प्रदूषण स्तर बढ़ा रहा है.


जलीय जीवन खतरे में
इंडिया राइजिंग संस्था के एक्टिविस्ट संदीप अग्रवाल का कहना है, पानी में प्रदूषण का स्तर कहीं अधिक है, क्योंकि पानी के नीचे जो लिक्विड बह रहा है वह पानी नहीं हैं. तापमान गिरने के बाद प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ गया है. पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण जलीय जीवन खतरे में है.


सरकार का नहीं कोई ध्यान
ब्रज मंडल हेरीटेज कंजर्वेशन संस्था के उपाध्यक्ष श्रवण कुमार का कहना है, समय-समय पर आगरा में वायु और जल प्रदूषण के उच्च स्तर को लेकर व्यक्त की गई वैश्विक चिंता के बावजूद 17वीं शताब्दी के प्रेम के प्रतीक ताजमहल और अन्य करीब आधा दर्जन मुगल स्मारकों के लिए खतरा पैदा हो गया है. इस तरफ न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार कोई ध्यान दे रही है.


गडकरी भूले अपना वादा
यहां तक कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी 2014 के लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद अपने वादे को भूल गए हैं. उन्होंने दिल्ली से आगरा तक पर्यटकों के लिए स्टीमर सेवा शुरू करने का वादा किया था. ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसाइटी के उपाध्यक्ष श्रवण कुमार सिंह का कहना है कि नदी की सफाई के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया है, न ही नदी में मीठे पानी के निर्बाध प्रवाह के लिए कोई उपाय किए जा रहे हैं.


राजनीतिक उदासीनता बड़ा कारण
पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य का कहना है, शहर में भारतीय जनता पार्टी के दो लोकसभा सदस्य और एक राज्यसभा सदस्य, नौ विधायक, एक महापौर, एक जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. यहां से राज्य और केंद्र सरकार, दोनों में भागीदारी है फिर भी इनकी तरफ से कोई प्रयास नहीं किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना की सफाई पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन दोनों नदियां दयनीय स्थिति में हैं.  उन्होंने कहा, यहां के विपक्षी दल भी इन हालातों के लिए जिम्मेदार हैं. अब भारत में अधिकांश बड़ी और छोटी नदियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. नदियों की सफाई के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की आवश्यकता है.


जेल तक का है प्रावधान
सामाजिक कार्यकर्ता राहुल राज और दीपक राजपूत ने कहा युमना को शुद्ध करने के लिए दिल्ली से आगरा तक नदी में गिर रहे सभी नालों को टेप करना होगा. गंदगी यमुना के जल में न गिरे ऐसे उपाय करने  होंगे. यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसको लेकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए. नदी अधिनियम के मुताबिक, सामुदायिक जल संसाधनों को प्रदूषित करने के लिए जेल का प्रावधान है.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी
ग्रीन एक्टिविस्ट पद्मिनी अय्यर ने कहा, वर्षों पहले सुप्रीम कोर्ट ने यमुना किनारे सड़क से डेयरियों, धोबी घाटों और ट्रांसपोर्ट कंपनियों को हटाने का निर्देश दिया था लेकिन जिला प्रशासन आदेशों का पालन कराने में विफल रहा है. आश्चर्य की बात है नदी पुलिस दस्ते कहां हैं? लोग पुलिस के सामने ही नदी को गंदा कर रहे हैं. शौच करते दिख रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं.


रबर चेक डैम बने
रिवर एक्टिविस्ट डॉ हरेंद्र गुप्ता ने दो दशकों से लटके पड़े यमुना बैराज प्रोजेक्ट (Yamuna barrage project) के लिए राजनीतिक दलों से आगे आने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा, योगी सरकार ने पहले ही रबर चेक डैम डाउनस्ट्रीम (rubber check dam downstream) के लिए 350 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं लेकिन पता नहीं क्यों ये प्रोजेक्ट रुका हुआ है. उन्होंने स्थानीय राजनेताओं की उदासीनता इसकी सबसे बड़ी वजह बताई है. उन्होंने कहा कि ताजमहल, एत्माद्दौला, राम बाग के पीछे छह फीट तक पानी की गहराई सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि स्मारकों को प्रदूषण से दूर रखा जा सके. इसके अलावा प्राकृतिक वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए.


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