नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार ये दावा कर रही है कि कोरोना के मरीजों के लिए बेड खाली पड़े हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. इतना ही नहीं, कोरोना के टेस्ट को लेकर सरकार की नई गाइडलाइन से मरीज और डॉक्टर दोनों परेशान हैं.


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कोरोना मरीज ने अस्पताल के बाहर तोड़ा दम
राजधानी के बॉर्डर एक हफ्ते के लिए सील किए गए हैं जिससे दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज हो सके, लेकिन यहां तो दिल्ली के लोगों को ही अस्पताल में जगह नहीं मिल रही है. कल दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में मामला सामने आया जिसमें एक कोरोना मरीज ने अस्पताल के बाहर इंतजार करते हुए दम तोड़ दिया. हालांकि लोक नायक अस्पताल ने सफाई पेश करते हुए कहा है कि मरीज अस्पताल में मृत लाया गया था. वहीं परिजनों का इल्जाम है कि बहुत मिन्नतें करने पर भी अस्पताल ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया. और अब दूसरे अस्पतालों में भी मरीजों को बेड नही मिल रहे.


ऐप में दी गई गलत जानकारी
हाल ही में दिल्ली सरकार ने कोरोना के मरीजों के लिए अस्पतालों में उपलब्ध बेड की जानकारी देने के लिए ऐप लॉन्च किया है. इस ऐप में दी गई जानकारी और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क है. दिल्ली के बी एल कपूर अस्पताल के बाहर खड़े एक कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिजन का कहना है कि दिल्ली कोरोना ऐप में हमने देखा कि इस अस्पताल में 93 बेड खाली हैं, जबकि अस्पताल का कहना है कि यहां कोई बेड खाली नहीं है.


मरीज के परिजन का कहना है कि मेरे भाई का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव है लेकिन उसका उपचार नही किया जा रहा. मैं अस्पतालों के चक्कर लगा रहा हूं. पहले हेल्प लाइन नंबर पर फोन किया तो उन्होंने कहा कि हमारे पास मरीज बहुत ज्यादा हैं. आपके घर टीम भेज देंगे, लेकिन 3 दिन से कोई टीम भी नहीं आई है. अब अस्पताल में आया हूं, तो यहां कह रहे हैं बेड नहीं हैं. इसके अलावा मैं ऐप में ही देख कर RLKC metro heart institute भी गया था. ऐप पर लिखा है इसमे 10 बेड उपलब्ध हैं लेकिन अस्पताल ने कह दिया कि हमारे पास कोई बेड उपलब्ध नहीं हैं.


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दूसरी बड़ी चुनौती दिल्ली सरकार की नई गाइडलाइंस
दिल्ली में एक तरफ कोरोना के मरीजों को बेड नहीं मिल रहा तो दूसरी बड़ी चुनौती है मरीजों कोरोना के टेस्ट की नई गाइडलाइंस. कोरोना की टेस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार की नई गाइडलाइंस ने लोगों के साथ साथ डॉक्टरों की भी मुसीबत बढ़ा दी है. टेस्ट कराने आए व्यक्ति का कहना है कि मेरे पिता बुजुर्ग हैं उनको कोरोना के सिम्पटम्स थे तो मैं उनको कल यहां लेकर आया, लेकिन यहां मुझे कह दिया कि अभी बहुत सारे टेस्ट होने हैं. आप 7 तारीख तो आना, मुझे खांसी, जुकाम है, मेरे परिवार में सबको सिम्पटम हैं लेकिन हमारा टेस्ट करने से मना कर दिया गया है.


दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ उन लोगों का टेस्ट होगा जिनमें,


1.  कोरोना के लक्षण हों और पिछले 14 दिन में अंतरराष्ट्रीय यात्रा की हो


2. कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए हों और लक्षण हों


3. सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मरीज हों


4. कंटेनमेंट जोन और कोविड वार्ड में काम करने वाले लोग जिनमें लक्षण हों


5.कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लोग जिनमें लक्षण हों.


दिल्ली सरकार से अपील
दिल्ली सरकार की टेस्टिंग को लेकर इन गाइडलाइंस से डॉक्टरों की भी परेशानी बढ़ गई है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने चिट्ठी लिखकर दिल्ली सरकार से अपील की है कि उनको टेस्ट करने की छूट दी जाए. अस्पताल में हर तरह के मरीज आते हैं. कोरोना के लक्षण दिखें ये जरूरी नहीं है. टेस्ट न करने से दूसरे मरीजों के लिए खतरा है. 


दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. बीबी वाधवा का कहना है कि दिल्ली सरकार से हमारी अपील है कि वो कोरोना का टेस्ट करने का निर्णय डॉक्टरों पर छोड़ दें. अस्पताल में ऐसे कई मरीज आते हैं जिनमें लक्षण नहीं हैं लेकिन उनका टेस्ट करना जरूरी है. खास तौर पर गर्भवती महिलाएं, जब तक किसी मे लक्षण दिखेंगे, तब तक कई लोग इस से संक्रमित हो जाएंगे जो कि डॉक्टरों के लिए संभालना मुश्किल हो जाएगा.