श्रीनगर:जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के दौरे पर गए यूरोपियन यूनियन (European Union) के सांसदों का दो दिवसीय दौरा बुधवार को संपन्न हुआ. यह पहला विदेशी प्रतिनिधिमंडल हैं जिसने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद यहां की यात्रा की. यही कारण है कि यह दौरा बहुत चर्चा में रहा. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि वे एक 'फैक्ट्स फाइंडिंग' यात्रा पर थे और यह कोई भी आधिकारिक दौरा नहीं था. उन्होंने यह कहा कि अनुच्छेद 370 भारत देश का आंतरिक मामला था और उम्मीद हैं कि राज्य में शांति बानी रहेगी. उनमें से कुछ ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि आतंकवाद मुख्य मुद्दा था, क्योंकि यह भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों को भी प्रभावित कर रहा हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मंगलवार को जब प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर पहुंचा तो उन्हें दोपहर के भोजन के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच एयरपोर्ट से होटल ले जाया गया. जिसके बाद उनको सेना के चिनार कोर मुख्यालय में सेना के अधिकारियों द्वारा सुरक्षा से जुड़ी जानकारी दी गई और घाटी में आतंकवादियों की गतिविधियों और नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम उल्लंघन के बारे में भी बताया गया.


प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से जुड़े कार्यक्रम को सुरक्षा कारणों के कारण कभी सार्वजनिक नहीं किया गया. दोपहर लगभग 3 बजे श्रीनगर के पॉश होटल के बाहर पुरुषों और महिलाओं के छोटे छोटे डेलिगेशन इकट्ठा होने शुरू हो गए थे, जहां प्रतिनिधिमंडल बैठा था. इनमें से कई लोगों को मीडिया से बात करने से इंकार किया. जबकि कुछ ने खुद को पंचायत सदस्य, स्थानीय भाजपा नेता और पूर्व सैनिकों के रूप में पेश किया. “हमने यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल को एक लिखित मेमोरंडम प्रस्तुत किया और उन्हें बताया कि कश्मीर शांतिपूर्ण है. प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि कश्मीर में शांति है और लोगों को विकास की आवश्यकता है ”



होटल के बाहर एक स्थानीय भाजपा यूनिट के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा.आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि करीब 13 अलग-अलग डेलिगेशन ने सांसदों से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल बाद में होटल से निकले और प्रसिद्ध डल झील में शिकारा की सवारी की. नावें झील के घाट पर इंतजार कर रही थीं. वहां सभी कश्तियों को सजा कर तैयार रखा गया था.  एक नाव चालक ने बताया, 'हम कुछ समय से यहां इंतजार कर रहे हैं. हमें बताया गया है कि वे आएंगे और झील पर नाव की सवारी का आनंद लेंगे.'


यह भी पढे़ंः कश्मीर पर पश्चिमी मीडिया का रवैया सही नहीं, PAK में ईसाईयों को किया जा रहा है परेशान: EU सांसद


नाव की सवारी करते वक्त प्रतिनिधिमंडल की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के कई स्पीडबोट और पुलिस की सुरक्षा मौजूद थी. सांसद नावों में बैठ गए और नाव वालों ने उन्हें झील की सैर कराई गई. झील  खूबसूरत बनाने के लिए कुछ खाली शिकारे भी घूम रहे थे. इस सब ने एक अच्छा दृश्य बना दिया. नावों में बैठते समय उनमें से कुछ ने वहां खड़े पत्रकारों से बात की जो प्रतीक्षा कर रहे थे. स्पेन के एक सांसद हरमन टेरस्टेक ने कहा, “हम यहां हैं कि क्या हो रहा है उसपर कुछ विचार प्राप्त करने के लिए आये हैं." 


बाद में प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुख्य सचिव के साथ बातचीत की. उनके द्वारा एक शीर्ष होटल में रात के खाने का आयोजन किया गया था, जहाँ से डल झील दिखाई देती थी. सरकारी सूत्रों के मुताबिक यहाँ इनको कश्मीर के बारे में डिटेल्ड रिपोर्ट दी गई जो विभिन्न अधिकारियों द्वारा इन सांसदों को प्रस्तुति की गई.अपनी यात्रा के दूसरे दिन एक मीडिया इंटरैक्शन का आयोजन किया गया था जिसमें हालांकि कुछ ही मीडिया हाउसेस और प्रिंट पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था.


कश्मीर के एक पत्रकार अमृत पाल सिंह ने कहा, "कुछ चुनिंदा पत्रकारों को ही बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया था और सवाल भी बहुत सीमित थे."


प्रेस वार्ता के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने कहा की वह अनुछेद 370 भारत का अंदरूनी मामला हैं और हम आतंकवाद के खिलफ लड़ाई में भारत के साथ हैं क्योंकि आंतकवाद कश्मीर या भारत का ही नहीं बल्कि यूरोप की भी समस्या हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस के शुरू होते ही इस प्रतिनिधिमंडल ने उन सब आरोपों को खारिज किया जो उनपर इस दौरे को लेकर लगाये गए थे. उन्होंने कहा, 'यहां से अमन का सन्देश लेकर जाएंगे. हर मामला शांति और बात चित से हल होता हैं.'