जयपुर: रोबोट, आपका रक्षक तो दुश्मनों का दुश्मन होता है. वो दिन दूर नहीं जब सीमा पर निगरानी के साथ साथ युद्ध के तौर तरीकों में भी बदलाव आने वाला है. समय पारंपरिक युद्ध के बजाए रोबोटिक युद्ध का होगा. अमेरिका, इजरायल जैसे देश ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ऐसे रोबोट्स तैयार कर रहे हैं जो न केवल सीमा की चौकसी में मुस्तैद हैं बल्कि हथियारों, ड्रग्स की तस्करी रोकने और दुश्मन के मंसूबों को भी नाकाम बना रहे हैं.


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इजरायल की सीमा पर निगरानी का ज़िम्मा सैनिक नहीं बल्कि रोबोगार्ड्स करते हैं. जो नाइट विजन तकनीक, इंफ्रा रेड कैमरा जैसी कई ऐसी खूबियों से लैस हैं जिससे सीमा पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता. घुसपैठ करने वाले को ये रोबो आर्मी छोड़ती नहीं है. अब सीमा पर सुरक्षा बलों को मज़बूत बनाने के लिए वैज्ञानिक ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित ऐसे रोबोट तैयार कर रहे हैं जो भारत की सीमाओं पर गश्त करेंगे. ये रोबोट हर तरह के मौसम और कितने ही दुर्गम रास्तों पर चलने में सक्षम होंगे. रोबोट्स के आने से हम अपने सैनिकों की जान बचा सकेंगे.


इन रोबोट को बनाने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड और सेंट्रल रिसर्च लेबोरेट्री के वैज्ञानिक बेंगलुरु में काम कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने फर्स्ट रिस्पांडर रोबोट पर काम करना दिसंबर 2018 में शुरू किया था. दावा किया जा रहा है कि रोबोट का प्रोटो टाइप दिसंबर 2019 तक तैयार कर लिया जाएगा. वैज्ञानिक फरवरी 2020 तक इसे ट्रायल के लिए तैयार करेंगे. फिलहाल भारत के 80 से ज्यादा वैज्ञानिक और इंजीनियर्स इस रोबोट को बनाने के लिए काम कर रहे हैं.


भविष्य में इंडियन एवेंजर्स के तौर पर पहचान हासिल करने वाली बीईएल रोबोट में कई तरह की खूबियां होंगी. रोबोट में कई तरह के सेंसर होंगे. इसकी प्रोग्रामिंग इस तरह की जाएगी ताकि खतरे की स्थिति में कंट्रोल सेंटर से संपर्क कर सके. जैसा इज़रायल का रोबोगार्ड करता है. एक रोबोट को बनाने में करीब 70 से 80 लाख रुपए का खर्च आने की उम्मीद है. बीईएल के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आर्मड फोर्सेस के बड़े ऑपरेशन में काम करने का तरीका बदल देगी. दुनियाभर की कई बड़ी कंपनियां जैसे आईरोबोट कॉर्पोरेशन, नॉर्थरोप गुरमान कॉर्पोरेशन, मित्सुबिशी, थेल्स ग्रुप, बीएई सिस्टम्स, जनरल डायनामिक कॉर्पोरेशन ऐसे रोबोट बनाने पर काम कर रही हैं जो सीमाओं पर गश्त लगाएंगे.


भारत की 3,323 किमी सीमा पाकिस्तान से लगती है. इसमें से ज़्यादातर एरिया को भारत ने फेंसिंग लगाकर महफूज़ कर रखा है लेकिन कुछ जगह ऐसी हैं जहां फेंसिंग मुमकिन नहीं. यहीं से पाकिस्तान आतंकियों को भारत में घुसपैठ करवाता है. रोबोट्स के आने से यहां भी निगरानी चौकस हो सकेगी. भारत ने पिछले साल दिसंबर में कम्प्रेहेंसिव इंटीग्रेटिड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम कार्यक्रम शुरू किया है ताकि घुसपैठ को नाकाम किया जा सके. कहा जा सकता है सेना के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस रोबोट आने के साथ ही उसकी ताकत में इज़ाफा होगा और हमारे जवान ज़्यादा महफूज़ भी होंगे.


बहरहाल आपके लिए ये भी जानना दिलचस्प होगा कि हिंदुस्तान के सबसे अजीज़ साथी रूस ने इस दिशा में सबसे तेज प्रगति की है. रूस का दावा है कि उसने सेल्फी ड्राइविंग टैंक के साथ Killer Robots की एक सेना बनाई है जो एक सैनिक की राइफल और आसमान से बम गिराने वाले घातक ड्रोनों के झुंड की commands का पालन करती है. रूस का दावा है की उसने एक ऐसी killer Robots की सैना तैयार की है जो युद्ध के मैदान में पैदल सेना की सहायता करेगी. इसमें artificial intelligence से चलने वाले टैंक भी शामिल हैं जो एक सैनिक की राइफल के लक्ष्य का पालन करते हुए अपने हथियार के साथ निशाना बनाता है.


फिलहाल दुनिया भर में ड्रोन को पैदल सेना के साथ तैनात किया जाता है. जो वाहनों को दूर से नियंत्रित करते हैं, लेकिन भविष्य में तकनीक पूरी तरह से autonomous होगी. इसका मतलब है कि सैन्य हार्डवेयर बिना किसी मानव हस्तक्षेप के दुश्मनों को निशाना बनाने और मारने में सक्षम होगा. ऐसे में अगर ये कहा जाए कि आने वाले वक्त में पाकिस्तान हो या चीन. हिंदुस्तान की नई किलर एवेंजर्स के आगे वो भी कांपेंगे तो ये गलत नहीं होगा. सबसे ज्यादा फीक्र तो पाकिस्तान की है. कहीं ऐसा ना हो हमारे जवान बैठकर जब तक कॉफी की चुस्की लें तब तक ये एवेंजर्स पाकिस्तान का नामोनिशान ना मिटा दें.


-- अभिनव अभि, न्यूज डेस्क