जयपुर: मध्य प्रदेश सरकार के बाद राजस्थान सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मीसा बंदियों को मिल रही पेंशन पर रोक लगा दी है. गहलोत कैबिनेट ने मीसा पेंशन पर रोक लगाने के निर्णय पर मुहर लगा दी है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कैबिनेट में हुए निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने मीसा पेंशन को बंद करने का निर्णय लिया है. 


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धारीवाल ने कहा कि अब तक मीसा पेंशन के नाम पर मिली सुविधाओं की कोई रिकवरी नहीं की जाएगी लेकिन अब मीसा पेंशन के नाम पर मिल रही सभी तरह की सुविधाओं को बंद कर दिया गया है. मध्य प्रदेश के बाद मीसा पेंशन पर रोक लगाने वाला राजस्थान दूसरा राज्य है. मीसा बंदियों की पेंशन शुरू करने और बंद करने को लेकर पिछले डेढ़ दशक से यहां एक परिपाटी बन गई है. 


यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने इस फैसले के बारे में कहा कि सरकार इन्हें कोई लोकतंत्र रक्षक नहीं मानती है. कांग्रेस के  सत्ता में आने के बाद से मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन को लेकर कई तरह के कयास चल रहे थे. हालांकि पेंशन की राशि जारी नहीं की गई थी. अब कैबिनेट ने मीसा बंदियों को पेंशन और मिलने वाले भत्तों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है.



राजस्थान में मीसा, DIR बंदियों की संख्या 1100 से अधिक है. वहीं सीआरपीसी में निरुद्ध बंदियों की संख्या-450-500 है. पहले इन लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन 12,500 थी जो पूर्वरती सरकार ने बढ़ाकर 25 हजार की थी. जिसमे 5,000 रुपये चिकित्सा, यात्रा भत्ता शामिल हैं. पहले चिकित्सा भत्ता 1250 मिलता था अब इसे बढ़ाकर 4,000 कर दिया गया था.


प्रदेश सरकार के इस फैसले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्वीट कर कहा कि सरकार जनता से डरी हुई है. विद्वेष की राजनीति को पोषित करने वाली सरकार ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वाले योद्धाओं की पेंशन पर रोक लगा दी है. कई गरीब परिवार जो इसी पर निर्भर थे उनका निवाला छीन लिया है. आज तानाशाही की बात करने वाले मुख्यमंत्री जी को ध्यान होगा आपातकाल कांग्रेस ने लगाया था.