मुंबई: अपराधियों की अब खैर नहीं, एक ही क्लिक से अब उनकी पूरी जानकारी मिल जाएगी. दरअसल, देश का पहला बायोमेट्रिक सिस्टम महाराष्ट्र ‌‌‌पुलिस ने शुरू किया है, जिसमें अपराधी के सारे विवरण दर्ज रहेंगे. प्रोजेक्ट पर महाराष्ट्र पुलिस की ओर से तीन साल पहले ही काम शुरु किया गया था. लेकिन महज तीन दिन में इसे मुंबई के सारे पुलिस स्टेशनों में शुरू किया गया. इसकी शुरुआत के साथ ही 85 मामलों के अपराधियों को पहचान लिया गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

महाराष्ट्र पुलिस का AMBIS  के नाम से शुरु किया गया यह सॉफ्टवेयर अपराधियों की जन्मकुंडली है. इसमें फिंगरप्रिंट सहित, Irish (आंख की पुतलियों) की जानकारी सहित पॉम प्रिन्ट और फ़ोटो ग्राफ भी मौजूद है. इस AMBIS में अब तक साढ़े छह लाख अपराधियों के विवरण दर्ज हैं. खासबात ये भी है इस विवरण में अपराधियों के जरिये किए गए पिछले अपराध को भी पहचाना जा सकता है. फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस और दूसरे सुरक्षा संस्थान महज फिंगर प्रिंट और हथेलियों के ही चिन्ह रिकॉर्ड में दर्ज करते हैं.


लेकिन महाराष्ट्र साईबर पुलिस के प्रयास से शुरू किए गए इस नए सिस्टम से अपराधी का हर कच्चा चिट्ठा पलक झपके ही आपके सामने हाजिर रहेगा. इस परियोजना को अथक प्रयास से शुरू करने वाले अधिकारियों का मानना है कि देश ही नहीं विदेश की सुरक्षा‌ एजेंसियों को भी मदद मिल सकेगी.


 



 


महाराष्ट्र साईबर सेल के स्पेशल आईजी ब्रजेश सिंह ने बताया कि AMBIS एक ऐसा सिस्टम है जिससे हम इंटरपोल और दूसरी एजेंसियों के भी संपर्क में रह सकते हैं. अपराधियों के सारे विवरण एक साथ मिल सकते हैं. मुंबई के सारे पुलिस स्टेशनों में इसे विधिवत प्रयोग में लाना शुरू कर दिया गया है. महाराष्ट्र के सभी पुलिस स्टेशनों को भी सीधा जोड़ा जाएगा. इसमें दर्ज विवरण सुरक्षित हैं, इसका दुरूपयोग संभव नहीं है.


कैसे करता है काम
इसके बारे में साइबर पुलिस अधिकारी बताते हैं कि जैसे ही कोई अपराधी पुलिस के जरिये थाने में लाया जाता है. उसका फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट, आईरिस और दूसरे विवरण डाले जाते हैं. अगर अपराधी पहले से किसी अपराध में भगोड़ा है या किसी भी तरह के अपराध में सजा पा चुका है या किसी मामले में आरोपी है तो इसकी जानकारी पलक झपकते ही मिल जाएगी. महाराष्ट्र सरकार के सात फिंगरप्रिंट ब्यूरो में भी पकड़े गए अपराधी के फिंगरप्रिंट का मिलान किया जाता है जिससे सारी विवरण एक झटके में आ जाते हैं.


पुलिस का मानना है कि ये सहूलियत आने वाले दिनों में उन वारदात के दौरान ज्यादा कारगर होगी जहां केवल उंगलियों के निशान, खून के धब्बे, पांव के निशान या किसी तरह के हल्के या अधूरे निशान मिलते हैं. स्कैनिंग के जरिये इन निशानों का मिलान दर्ज रिकार्ड से करके अपराधी पर शिकंजा कसा जा सकता है.


साइबर पुलिस महाराष्ट्र के डीसीपी बलसिंह राजपूत ने बताया कि स्पॉट क्राइम के विवरण डालने से अपराधी भी पकड़े जा सकते हैं. अलग-अलग डिटेल एक साथ करने के बाद इतने बड़े पैमाने पर ये सहूलियत तैयार हुई है. इसमें बराबर अपडेशन हो रहे हैं, जिससे एक छोटे अपराधी से लेकर खूंखार अपराधियों के विवरण भी दर्ज रहे हैं. 


अधिकारियों के मुताबिक अगर अपराधी पहचान छुपाकर रहना भी चाहे तो भी अब वो संभव नहीं है. अगर सड़क पर चलते समय ट्रैफिक सिग्नल तोड़ता है तो चालान काटते समय ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीर और दर्ज विवरण स्कैनिंग के साथ ही सारे राज खुल जाएंगे और अपराधी पुलिस के गिरफ्त में होगा.