Supreme Court On Juvenile Bail: अपराध की गंभीरता जो भी हो, कानून के शिकंजे में आने वाले बच्चों को जमानत दे दी जाती है. इस परंपरा से हटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपवाद स्वरूप फैसला सुनाया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक किशोर आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया. किशोर पर अपनी 14 साल की क्लासमेट के अश्लील वीडियो बनाकर सर्कुलेट करने का आरोप है. कथित रूप से, इसी प्रताड़ना से तंग आकर बच्ची ने आत्महत्या कर ली. इसी साल जनवरी में, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB)  ने किशोर आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. फैसले को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा. इसके बाद आरोपी अपनी मां के सहारे जमानत लेने सुप्रीम कोर्ट आया था. दलील दी कि माता-पिता आरोपी की देखभाल को तैयार हैं. किशोर को सुधार गृह में न रखा जाए और उसकी कस्टडी मां को दे दी जाए. हालांकि, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने कहा कि किशोर को जमानत से इनकार कर हाई कोर्ट ने सही किया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने लड़के की याचिका खारिज कर दी.


'आरोपी बुरी संगत में, और भी अपराध कर सकता है'


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

14 साल की बच्ची अपने घर से अक्टूबर 2022 में गायब हो गई थी. बाद में उसकी लाश बरामद हुई. लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि लड़के ने उनकी बेटी के अश्लील वीडियो बनाकर स्टूडेंट्स के बीच सर्कुलेट किए थे. पिता का कहना था कि बदनामी के डर से बेटी ने खुदकुशी कर ली. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 1 अप्रैल के फैसले में किशोर को जमानत से इनकार कर दिया. जस्टिस रवींद्र मैथानी ने कहा था, 'कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे (CIL) के लिए, हर अपराध जमानती है और ऐसा सीआईएल जमानत का हकदार है, भले ही अपराध को जमानती या गैर-जमानती के रूप में वर्गीकृत किया गया हो.'


हालांकि, उन्होंने आगे कहा, 'जमानत से इनकार किया जा सकता है अगर यह मानने के उचित आधार हों कि उसकी रिहाई से 'कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे' के किसी ज्ञात अपराधी के साथ जुड़ने की संभावना है, उसे नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में डाल दिया जाएगा, या अगर उसकी रिहाई से न्याय का लक्ष्य विफल होता हो.'


HC ने कहा कि आरोपी एक अनुशासनहीन बच्चा है जिसकी संगत बुरी है और उसे अनुशासन में लाने की जरूरत है. सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि रिहाई के बाद यह बच्चा और अप्रिय घटनाओं में शामिल हो सकता है. हाई कोर्ट ने तमाम रिपोर्ट्स का संज्ञान लेने के बाद कहा था कि जमानत न दिया जाना ही बच्चे के  हित में होगा.


Explainer: क्या सरकार जबरदस्ती आपकी जमीन का अधिग्रहण कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने तय की सबसे बड़ी शर्त


सुप्रीम कोर्ट में कैसी बहस चली


HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. सीनियर एडवोकेट लोक पाल सिंह ने कहा कि आरोपी के माता-पिता उसकी देखभाल करने को तैयार हैं. बच्चे को सुधार गृह में नहीं रखा जाना चाहिए. सिंह ने अपील की कि बच्चे की कस्टडी मां को दे दी जाए. जमानत से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'रिकॉर्ड पर रखे गए मटेरियल को ध्यान से देखने के बाद, हम इस समय हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते.'