नई दिल्ली: भारतीय सेना में महिला ऑफिसरों के स्थाई कमीशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले के अनुपालन के लिए केंद्र सरकार को एक महीने का और समय दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अपने निर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है.


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जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र को उसके फैसले में दिए गए सभी निर्देशों का अनुपालन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट का ये निर्देश केंद्र की ओर से दायर एक आवेदन पर आया जिसमें उसने कोरोना के चलते स्थाई कमीशन लागू करने और महिला अफसरों को कमांड पोस्टिंग के प्रावधान के लिए 6 महीने का और वक्त मांगा था. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हम निर्णय लेने के अंतिम चरण में हैं.


केंद्र सरकार की ओर से बाला सुब्रमण्यम ने कोर्ट से कहा कि भारतीय सेना में महिला ऑफिसरों के स्थाई कमीशन को लेकर ऑर्डर कभी भी आ सकता है लेकिन कोरोना को देखते हुए और वक्त दिया जाना चाहिए.


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महिला ऑफिसरों की ओर से पेश वकील मीनाक्षी लेखी से कोर्ट ने पूछा कि क्या और वक्त नहीं दिया जाना चाहिए. फिर वकील मीनाक्षी लेखी ने कहा कि समय और दिया जा सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसकी निगरानी करे.


सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण दफ्तर बंद रहे और कर्मचारियों की उपस्थिति कम रही इसीलिए कोर्ट के दिए गए तीन महीने में इसे लागू नहीं किया जा सका है.


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में निर्देश दिया था कि सेना में सभी महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन और कमांड पोस्टिंग दी जाए. कोर्ट ने महिलाओं की शारीरिक सीमा का हवाला देने वाले केंद्र के रूख को खारिज करते हुए इसे लैंगिक रूढ़ियों और महिलाओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव पर आधारित बताया था.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि तीन माह के भीतर सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने पर विचार किया जाएगा भले ही वो 14 वर्ष या 20 वर्ष सेवाएं दे चुकी हों.