नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को दिए गए अपने एक फैसले में लॉटरी, जुआ और शर्त के खेल पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) की वसूली को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीएसटी लगाना संविधान के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है और ना ही कोई प्रतिकूल भेदभाव करता है.


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सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्किल लोडो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया और केंद्रीय जीएसटी अधिनियम-2017 (Central Goods and Services Tax Act, 2017) के तहत केंद्र सरकार को लॉटरी पर टैक्स लगाने के लिए सशक्त बनाने वाले प्रावधान को बरकरार रखा.


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याचिका में की गई थी ये मांग
बता दें कि स्किल लोडो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अपनी याचिका में केंद्रीय जीएसटी (GST) कानून की धारा-2(52) के तहत वस्तु की स्पष्ट व्याख्या करने की मांग की थी. इसके अलावा लॉटरी पर टैक्स लगाने के लिए जारी की गई अधिसूचनाओं पर भी स्पष्टीकरण मांगा था.


गौरतलब है कि लोडो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अपनी याचिका में लॉटरी, जुआ और शर्त के खेल पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने को संविधान के तहत बिजनेस करने और समानता के अधिकार के मामले में विभेदकारी और उल्लंघन करने वाला बताया था.


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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'केंद्रीय जीएसटी कानून की धारा-2(52) के तहत वस्तु की परिभाषा संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करती है और ना ही ये अनुच्छेद 366(12) के तहत वस्तु की परिभाषा से टकराव पैदा करती है.'


कोर्ट ने आगे कहा कि अनुच्छेद-366 के 12वें उपखंड के तहत बताई गई वस्तु की परिभाषा में धारा-2(52) की परिभाषा निहित है. संसद के पास वस्तु एवं सेवा कर (GST) के संदर्भ में कानून बनाने की पूरी शक्ति है.


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