TDP के अलग होने के बाद भी खतरे में नहीं है NDA सरकार, जानिए `पूरा गणित`...
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पूरी नहीं होने पर शुक्रवार को तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होने का फैसला ले लिया, जिसके बाद तेदेपा के 16 सांसदों ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया.
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पूरी नहीं होने पर शुक्रवार को तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होने का फैसला ले लिया, जिसके बाद तेदेपा के 16 सांसदों ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. टीडीपी के दो मंत्री पी. अशोक गजपति राजू (उड्डयन मंत्री) और वाई. एस. चौधरी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री) पहले ही सरकार से इस्तीफा दे चुके थे. तेलुगू देशम पार्टी केंद्र सरकार के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.
पहले एनडीए सरकार में कुल 328 सांसद थे, लेकिन टीडीपी के 16 सांसदों के अलग होने के बाद ये संख्या 312 हो गई है. 536 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के पास खुद के 274 सदस्य हैं. बहुमत के लिए एनडीए को 269 सदस्यों की जरूरत है, लेकिन बीजेपी के पास अकेले ही इस संख्या से पांच सदस्य ज्यादा हैं.
सदन में फिलहाल एनडीए सदस्यों की संख्या कुछ इस प्रकार है...
बीजेपी- 274
शिवसेना- 18
लोक जनशक्ति पार्टी- 6
अकाली दल- 4
आरएलएसपी- 3
जेडीयू- 2
अपना दल- 2
पीडीपी- 1
एसडीएफ- 1
स्वाभिमान पक्ष- 1
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. टीडीपी को अब तक वाईएसआर कांग्रेस, कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम का समर्थन मिल चुका है.
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इन पार्टियों के सांसदों की संख्या ये है...
टीडीपी- 16
वाईएसआर कांग्रेस- 09
कांग्रेस- 48
टीएमसी- 34
सीपीएम- 09
एआईएमआईएम- 01
इन सांसदों की कुल संख्या 117 होती है. यानि केंद्र सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, लेकिन सरकार को गिराने के लिए 152 सांसदों के साथ की और जरूरत है. हालांकि, ये आंकड़ा पाना अन्य पार्टियों के लिए मुश्किल है. अकेले बीजेपी के पास पहले से ही बहुमत के आंकड़े से भी ज्यादा की संख्या में सांसद मौजूद है, ऐसे में समर्थन वापस हो जाने पर भी वो अकेले ही सरकार बना सकती है.