Tejashwi Yadav On Himanta Biswa Sarma: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को योगी आदित्यनाथ का 'चीनी' वर्जन बताए जाने पर बीजेपी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साथा है. पार्टी ने कहा कि इस तरह की औछी टिप्पणी इंडी गठबंधन के नेताओं की नस्लवादी मानसिकता को दर्शाती है. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि तेजस्वी यादव में राहुल गांधी के गुरु सैम पित्रोदा की मानसिकता समा गई है. पित्रोदा ने भी पूर्वोत्तर भारत के लोगों का मजाक उड़ाया था और अब वही काम तेजस्वी यादव कर रहे हैं. 


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'तेजस्वी में समाई पित्रोदा की मानसिकता'


बताते चलें कि सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. शहजाद पूनावाला ने कहा कि तेजस्वी यादव असम के सीएम @हिमंत बिस्वा को "चीनी" कहते हैं, क्योंकि वह असमिया हैं और पूर्वोत्तर से हैं! यह इंडी गठबंधन की नस्लवादी मानसिकता को दर्शाता है. ऐसा लगता है कि सैम पित्रोदा ने तेजस्वी के दिमाग पर कब्जा कर लिया है. इसीलिए वे इस तरह की नस्लवादी टिप्पणी करते हैं. 



'क्या राहुल गांधी इस टिप्पणी को देते हैं समर्थन?'


बीजेपी प्रवक्ता ने राहुल गांधी पर सवाल दागते हुए कहा, 'क्या राहुल गांधी, गौरव गोगोई इसे मुहब्बत की दुकान के रूप में समर्थन देते हैं. क्या वे इस तरह की असंवैधानिक, भारत विरोधी, जातिवादी और घृणित टिप्पणियों के लिए आरजेडी के साथ संबंध खत्म करेंगे?’


बताते चलें कि असम विधानसभा में नमाज का ब्रेक खत्म करने पर तेजस्वी यादव ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को “योगी का चीनी संस्करण” करार देते हुए मजाक उड़ाया था. यही नहीं, तेजस्वी यादव ने उन पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का भी आरोप जड़ा. उन्होंने कहा कि बीजेपी का मकसद अलग-अलग तरीकों से मुसलमानों को परेशान करना है.


मेरे रहते मुसलमानों का कोई नहीं बिगाड़ सकता- तेजस्वी


तेजस्वी यादव ने एक्स पर कहा था, 'असम के सीएम सस्ती लोकप्रियता पाने और योगी का चीनी संस्करण बनने की कोशिश में जानबूझकर मुसलमानों को परेशान करने वाले काम करते रहते हैं. भाजपा के लोगों ने नफरत फैलाने, मोदी-शाह का ध्यान आकर्षित करने और समाज को ध्रुवीकृत करने के लिए मुस्लिम भाइयों को आसान निशाना चुन लिया है. देश की आजादी में आरएसएस को छोड़कर सभी धर्मों के लोगों का हाथ है. हमारे मुस्लिम भाइयों ने देश को आजादी दिलाने में कुर्बानी दी है और जब तक हम यहां हैं, कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.' 



क्यों शुरू हुआ यह सारा विवाद?


बताते चलें कि असम सरकार ने असेंबली में मुस्लिम विधायकों के लिए पिछले करीब 85 साल से चले आ रहे 2 घंटे का नमाज ब्रेक खत्म कर दिया था. अंग्रेजों के राज में यह प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में शुरू की थी. सीएम हिमंत ने पोस्ट करके इस बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को हमेशा के लिए हटा दिया गया है. हालांकि इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नियम अगले सत्र से शुरू होगा. हिमंत सरकार का यह फैसला कट्टरपंथियों और इंडी गठबंधन के नेताओं को रास नहीं आ रहा है और वे इस पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. 


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