नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) से पूछा, 'क्या राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में गैर कोविड मरीजों के लिए पर्याप्त आईसीयू बिस्तर उपलब्ध हैं? और वह निजी अस्पतालों की क्षतिपूर्ति कैसे करेंगे, जिनसे कोविड मरीजों के लिए ऐसे बिस्तर आरक्षित रखने को कहा गया है?'


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मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार की एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र और ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स’ को नोटिस जारी करते हुए यह सवाल पूछा है. 


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दरअसल, एकल न्यायाधीश ने 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तर कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के फैसले पर 22 सितंबर को रोक लगा दी थी. अदालत ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कोविड और गैर कोविड मरीजों के लिए निर्धारित आईसीयू बिस्तरों का विवरण मांगा तथा पूछा कि दोनों श्रेणियों में कितने बिस्तर खाली हैं.


पीठ ने दिल्ली सरकार से जानना चाहा, 'पहले हमें संतुष्ट कीजिए कि पर्याप्त संख्या में आईसीयू बिस्तर गैर-कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध हैं. हमें यह भी बताएं कि निजी अस्पतालों के आईसीयू बिस्तर कोविड-19 मरीजों के लिए खाली रखने पर आप उनकी क्षतिपूर्ति कैसे करेंगे.' 


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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन, अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता संजय घोष और अधिवक्ता उर्वी मोहन ने पीठ को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में 1,170 निजी अस्पताल हैं और 3,222 आईसीयू बिस्तर हैं. दिल्ली सरकार ने कहा कि 1,170 में से सिर्फ 33 निजी अस्पतालों को 12 सितंबर को अपने 80 फीसद आईसीयू बिस्तर कोविड मरीजों के लिए आरक्षित रखने को कहा गया था.


इसने कहा कि सरकार का मकसद कोविड-19 मरीजों के लिए मौजूदा 881 आईसीयू बिस्तरों की संख्या को 1,521 करने का था. पीठ हालांकि दिल्ली सरकार की दलील से संतुष्ट नहीं हुई और मामले की अगली सुनवाई पर स्पष्ट आंकड़ों के साथ पेश होने का निर्देश दिया.


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