नई दिल्‍ली: कारगिल युद्ध की कहानी उस शख्‍स के बिना अधूरी है, जिसने सबसे पहले आतंकियों के भेष में पाकिस्‍तानी सेना को कारगिल की पहाडि़यों पर देखा था. पाकिस्‍तानी सेना को कारगिल की पहाडि़यों पर देखने वाले शख्‍स का नाम ताशी नामग्‍याल है. कारगिल के गरकौन गांव में रहने वाला ताशी पेशे से चरवाहा है. ताशी ने कुछ दिनों पहले ही 12 हजार रुपए में एक यार्क खरीदा था. 2 मई 1999 को यह यार्क कही खो गया था. अपने यार्क को तलाशते हुए ताशी गांव से काफी दूर कारगिल के वंजू टॉप तक पहुंच गए.  


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वंजू टॉप पहुंचने के बाद, ताशी ने अपनी दूरबीन से अपने यार्क को देखना शुरू किया. इस दौरान, ताशी को अपने यार्क के साथ-साथ दूर एक ऊंची पहाड़ी पर करीब छह लोग नजर आ गए. ये लोग पत्‍थर तोड़ कर उसने बर्फ भरने का काम कर रहे थे. ताशी को पहले लगा कि ये लोग शिकारी हैं. ताशी काफी देर तक दूर‍बीन से इन लोगों की हरकतों को देखना जारी रखा. ऊंची पहाड़ी पर मौजूद इन लोगों के पहनावे, हावभाव और हथियारों को देखकर ताशी को यह समझने में देर नहीं लगी कि ये लोग शिकारी नहीं, बल्कि सीमा पार से आए पाकिस्‍तानी घुसपैठिये हैं.


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याशी अपने यार्क को लेकर भागता हुए नीचे आ गया. चूंकि, ताशी को इस इलाके के चप्‍पे-चप्‍पे की जानकारी है, लिहाजा कई बार भारतीय सेना गश्‍त के दौरान उसे अपने साथ ले जाती थी. इस घटना के अगले दिन यानी 3 मई 1999 को सेना की एक टुकड़ी सोरना के लिए रवाना होने वाली थी. सेना की इस टुकड़ी ने ताशी को अपने साथ ले लिया.  इसी दौरान, ताशी ने सेना के जवानों को बताया कि उसने कारगिल की ऊंची बर्फीली पहाडि़यों में सफेद कपड़े पहने हुए छह पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को देखा है. याशी की बात सुन सेना के जवान सकते में आ गए. 


याशी की बातों को पुख्‍ता करने के लिए सेना के जवानों ने उसे कुरेदना शुरू किया. जिस पर, याशी ने अपने बच्‍चों और मां की कसम खाकर बताया कि उसने बर्फीली चोटी पर पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को पत्‍थर तोड़ते और बर्फ भरते हुए देखा है. याशी की बात पर भरोसा कर कुछ जवान इन पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की टोह लेने के लिए रवाना हो गए. याशी सेना के इन जवानों को लेकर एक बार फिर वंजू टॉप पहुंच गया. जहां से सेना के जवानों ने ऊंची बर्फीली पहाडि़यों में पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की मौजूदगी को अपनी आंखो से देखा. 


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जिसके बाद, पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की जानकारी कश्‍मीर से चलकर अगले ही दिन दिल्‍ली तक पहुंच गई. जिसके बाद, भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू कर आतंकियों के भेष में आए पाकिस्‍तानी सेना के जवानों का अंजाम तक पहुंचाना शुरू कर दिया.