G20 सम्मेलन के डिनर के दौरान जब PM मोदी और शी जिनपिंग ने मिलाया हाथ तो क्या हुई थी बात?
G20 Summit: जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित डिनर के अंत में एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया था. यह मई 2020 में भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न गतिरोध के बाद से दोनों नेताओं की पहली बार सार्वजनिक मुलाकात थी.
Modi-Jinping Conversation: विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले वर्ष बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में एक डिनर के दौरान एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता पर बातचीत की थी. यह मई 2020 में भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न गतिरोध के बाद से दोनों नेताओं की पहली बार सार्वजनिक मुलाकात थी.
चीन के विदेश मंत्रालय ने जोहानिसबर्ग में दो दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी के बीच बैठक के बाद दावा किया कि शी और मोदी पिछले साल नवंबर में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाने पर ‘महत्वपूर्ण आम सहमति’ पर पहुंचे थे.
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति आयोजित किया था डिनर
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित डिनर के अंत में एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और हमारे द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता पर बात की थी.’
बागची कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं कि हमने दृढ़तापूर्वक कहा है कि पूरे मुद्दे के समाधान की कुंजी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति को हल करना तथा सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल करना है.’
डोभाल ने 24 जुलाई को जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक से इतर वांग से मुलाकात की थी.
क्या जिनपिंग दिल्ली आएंगे?
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के राष्ट्रपति दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, इस पर बागची ने कहा कि भारत सभी आमंत्रित नेताओं की भागीदारी के साथ इसकी सफलता के लिए सभी प्रयास और तैयारियां कर रहा है.
अफ्रीकी संघ को जी20 का स्थायी सदस्य बनाने के भारत के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि यह होगा.’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले पर कुछ भी ठोस कहना जल्दबाजी होगा.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा इस प्रस्ताव का कथित तौर पर समर्थन किए जाने संबंधी खबरों के बारे में बागची ने कहा कि उन्होंने ऐसी टिप्पणियां नहीं देखी है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर रूस ने (प्रस्ताव का) समर्थन किया है, तो यह अच्छा है.’
(इनपुट – न्यूज एजेंसी- भाषा)