नई दिल्ली: भारत के लोगों ने बाजार से चीन के सामान की तो सफाई कर दी लेकिन क्या अपने तन और मन की सफाई कर ली है? क्योंकि छोटी दिवाली पर लोग अपने घरों के हर एक कोने की सफाई करते हैं. चलिए जानते हैं कि इस दिवाली आप अपने तन और मन के हर कोने की सफाई कैसे कर सकते हैं.


तन और मन के कोनों में आखिर ऐसा क्या है? 


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इन कोनों में है आपके शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली बुरी आदतें और मन को नुकसान पहुंचाने वाले दूषित विचार. जैसे आपके घर के कोनों में कई बार कालिख जमा हो जाती है और ये कोने हमेशा के लिए गंदे हो जाते हैं. वैसे ही अगर आपके तन और मन की सफाई ना हो तो वहां रोग, ईर्ष्या, लोभ, अहंकार और नकारात्मक विचारों की गंदगी जमा हो जाती है. लेकिन क्या आपने कभी अपने शरीर की मरम्मत और उसकी साफ सफाई के बारे में सोचा है? क्या आपको लगा कि बुरी आदतों की सीलन ने आपके शरीर की दीवार को कमजोर कर दिया है और अब इसे व्यायाम और Healthy Diet के पेंट से रंगने का समय आ गया है.


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शरीर को भी रखिए फिट


इस समय पूरी दुनिया में Health And Wellness का बाजार 112 लाख करोड़ रुपये का है, यानी लोग अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरुक हो रहे हैं. कोविड-19 के दौर में लोग स्वस्थ रहने की कसम खाने लगे हैं, व्यायाम को अपने जीवन का हिस्सा बनाने लगे हैं, बहुत सारे लोग खुद से वादा करने लगे हैं कि वो सिर्फ स्वास्थ्य वर्धक भोजन ही करेंगे. लेकिन जिस तरह दिवाली के कुछ दिनों के बाद घर फिर से गंदा होने लगता है वैसे ही ये सारी कसमें खाने के बाद लोग अपनी प्रतिज्ञा से पीछे हट जाते हैं.


न्यू ईयर रेजोल्यूशन को सिर्फ इतने लोग कर पाते हैं पूरा


साल 2019 में हुए एक सर्वे में पता चला कि हर साल 1 जनवरी के दिन दुनिया में जितने लोग ये कसम खाते हैं कि वो अब अच्छी आदतें अपनाएंगे, उनमें से 23% लोग एक हफ्ते तक भी अपना वादा नहीं निभा पाते, 69% लोग तीसरे हफ्ते में ही हार मान लेते हैं और सिर्फ 8% लोग ही किसी अच्छी आदत को लंबे समय तक या हमेशा के लिए अपना पाते हैं. इसलिए सबसे पहले तो ये समझिए कि अपने शरीर को स्वस्थ रखने की शपथ चाइनीज लाइट्स की तरह नहीं होनी चाहिए, जो कई बार सिर्फ धनतेरस से दिवाली तक ही काम करती है और फिर खराब हो जाती है, बल्कि आपकी ये शपथ स्थाई होनी चाहिए.


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कैसे रखें शरीर को फिट?


इसके लिए आप रोज 20 से 25 मिनट व्यायाम की आदत डालिए, शुद्ध भोजन कीजिए, सिगरेट और शराब से दूर रहिए, खूब पानी पीजिए, हरी सब्जियां और फल खाइए, अपने मुंह और दांतों की सफाई पर ध्यान दीजिए और सबसे जरूरी बात 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लीजिए.


शरीर की बात तो हो गई, अब आपके मन की बात करते हैं. क्योंकि आपका मन ही आपके शरीर को ऑपरेट करता है यानी उसका संचालन करता है. दरअसल हमारे मन के हर कोने में इच्छाओं, लोभ, अहंकार, रुढ़िवाद, बुरी आदतों और महत्वकांक्षाओं का एक मकड़जाल होता है और इसकी सफाई भी बहुत जरूरी है.


मन का साफ होना भी जरूरी


अमेरिका की मशहूर टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा (Martina Navratilova) से एक बार किसी ने पूछा था आप 43 साल की उम्र में भी इतना शानदार कैसे खेल लेती हैं. इस पर नवरातिलोवा ने जवाब दिया, कि टेनिस की गेंद को नहीं पता कि उनकी उम्र कितनी हो चुकी है. वो अक्सर कहा करती थीं कि जीवन का हर खेल, असल में उस 6 इंच के मैदान पर खेला जाता है जो आपके दो कानों के बीच है यानी आपका मस्तिष्क. आप बड़े-बड़े घरों में या बंगलों में नहीं रहते बल्कि आप अपने मन के इस 6 इंच के मकान में ही रहते हैं. लेकिन ये घर भी उतना ही साफ होना चाहिए जितना आप अपने भौतिक घर को साफ रखने की कोशिश करते हैं. मन के इस घर की किसी टेबल पर ईर्ष्या पड़ी है, किसी कोने में अपराध बोध जमा हो रहा है, मन के कारपेट के नीचे ऐसे कई रहस्य रखे हैं जिन्हें आप किसी के साथ बांटना नहीं चाहते. मन की रसोई में महत्वकांक्षाएं उबल रही हैं, इस घर में कहीं चिताएं बिखरी पड़ी हैं तो कहीं इच्छाओं के जाल बुने जा चुके हैं.


इन जालों में कैद मन और मस्तिष्क की पहचान ये है कि आपके मन के कोनों में दूषित विचार इकट्ठा होते रहते हैं, जब आप अपने मन की खिड़की से भविष्य में झांकते हैं तो आपको सबकुछ धुंधला दिखाई देता है या फिर उस पर अतीत की धूल हमेशा पड़ी रहती है. कहते हैं आपका मन आपकी आत्मा का दर्पण है, इसलिए अब इसे साफ करने के टिप्स नोट कर लीजिए.


नकारात्मक विचारों को करिए दूर


सबसे पहले उन नकारात्मक विचारों की लिस्ट बनाइए जो आपके मन पर हावी रहते हैं, ये नोट कीजिए कि ये विचार किन खास परिस्थितियों में और किस खास समय में जन्म लेते हैं. इसके बाद अपनी दिनचर्या को ऐसे व्यवस्थित कीजिए कि ये विचार आपके मन में प्रवेश ही ना कर पाएं.


हालातों को स्वीकारना बहुत जरूरी


जो है उसे स्वीकारना शुरू कीजिए, आप ना अतीत को बदल सकते हैं और ना भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं. इसलिए भविष्य और अतीत से जुड़े विचारों को वर्तमान के वैक्यूम क्लीनर की मदद से अपने मस्तिष्तक से निकाल दीजिए. दूसरों के प्रति दया दिखाने से पहले अपने प्रति दयालु बनिए जो व्यक्ति अपना ख्याल नहीं रख सकता वो दूसरों का भी भला नहीं कर सकता. इसलिए पहले खुद को समर्थ बनाइये और फिर दूसरों की मदद कीजिए.


अपने मन को अपराध बोध और डर के जाल से मुक्त कीजिए, ग्लानि से भरे व्यक्ति की आत्मा अंदर ही अंदर गलने लगती है. इसलिए अगर जीवन में गलती हो भी जाए तो उससे सबक लेकर आगे बढ़िए. अपराध बोध मत पालिए, इसी तरह डर पर विजय पाना सीखिए, जितने सपनों का अंत असफलताओं की वजह से नहीं होता उससे ज्यादा सपने सिर्फ डर की वजह से मर जाते हैं. अपने मन को अटैचमेंट (Attachment) यानी जुड़ाव की जंजीरों से मत बांधिए. रिश्ते निभाइये, प्रेम कीजिए, सुख सुविधाओं का आनंद लीजिए लेकिन किसी भी चीज से जुड़ाव मत पालिए. सब कुछ करते हुए भी खुद को हर चीज से पृथक रखिए, जीवन आपको हर बार एक नई स्क्रिप्ट (Script) थमाएगा. इसे एक कलाकार की तरह पढ़कर पूरी शिद्दत से अपना किरदार निभाइए और रोल समाप्त हो जाने पर नए रोल की तैयारियों में लग जाइए.


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Minima-Lism को अपनाइए


सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप जीवन में Minima-Lism को अपनाइए इसका अर्थ ये है कि उतनी ही चीजों का संग्रह कीजिए, जितने की आपको जरूरत है. भौतिक वस्तुओं से ज्यादा नए-नए अनुभवों को प्राथमिकता दीजिए. Minima-Lism के तहत ही अपने मन से भी गैर जरूरी और दूषित विचारों का कूड़ा करकट हटा दीजिए. कुल मिलाकर वही मन ज्यादा शांत और ज्यादा रचानत्मक होता है जो इच्छाओं की जंजीरों से बंधा हुआ नहीं होता, इसलिए इस दिवाली मन को बांधने वाली इन तमाम जंजीरों को पिघलाने की कसम खाइए और अपने साफ सुथरे मन के कोने में एक ऐसा दिया जलाइये, जिससे आपका पूरा व्यक्तित्व रोशन हो जाए.


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