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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने स्वदेशी कोरोना टीका, कोवैक्सीन (Covaxin) को 3 नंवबर को आखिरकार अंतराष्ट्रीय मान्यता दे दी है. आपको बता दें कि ये आंठवी वैक्सीन है जिसे WHO से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी मिली है. WHO ने कोवैक्सीन को मंजूरी देते हुए ये भी कहा कि ये वैक्सीन बहुत आसानी से स्टोर की जा सकती है, इसीलिए गरीब देश भी इस वैक्सीन का प्रयोग आसानी से कर सकते हैं.
कोवैक्सीन को मान्यता देने से पहले WHO ने उसे 4 मानकों पर परखा था. इसमें क्वालिटी, सुरक्षा, कारगर होने की क्षमता और रिस्क मैनेजमेंट जैसे प्वाइंट्स शामिल हैं. रिस्क मैनेजमैंट का मतलब है कि कोई साइड इफेक्ट होने की स्थिति में कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक उसका मैनेजमेंट कैसे करेगी. हालांकि 3 नंवबर से पहले कोवैक्सीन को मान्यता देने के मुद्दे पर WHO कई बैठकें कर चुका था और सवाल उठने लगे थे कि चीन की वैक्सीन को ट्रायल पूरे होने से पहले ही मान्यता देने वाले WHO को भारत में बनी वैक्सीन से आखिर इतनी दिक्कतें क्यों हैं. हालांकि इस आलोचना का जवाब WHO हमेशा ये कहकर देता रहा कि भारत बायोटेक ने अभी हमें सारे कागज जमा नहीं करवाए हैं, इसलिए देरी हो रही है.
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आमतौर पर वैक्सीन अप्रूवल में WHO 6 सप्ताह का टाइम लेता है लेकिन कोवैक्सीन को मंजूरी के लिए भारत बायोटेक ने अप्रैल 2021 में आवेदन किया था और मंजूरी मिलने में तकरीबन 7 महीने का समय लग गया. फिलहाल WHO ने कोवैक्सीन को 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को 4 हफ्ते के अंतराल पर लगाने की मंजूरी दी है. हालांकि भारत में कोवैक्सीन अब 2-18 वर्ष आयुवर्ग के लिए भी मंजूर की जा चुकी है. आपको बता दें कि WHO ने कोवैक्सीन को गर्भवती महिलाओं को लगाने की मंजूरी अभी भी नहीं दी है. इसके लिए और ज्यादा रिसर्च की जाएगी और फिर फैसला लिया जाएगा. भारत में गर्भवती महिलाओं को कोवैक्सीन लगाने की मंजूरी है.
कोवैक्सीन आईसीएमआर और भारत बायोटेक फार्मा कंपनी ने मिलकर बनाई है. इस अप्रूवल के बाद भारत बायोटेक ने अपनी प्रतिक्रिया में साफ किया है कि हमने जून 2021 में कोवैक्सीन के तीसरे चरण का डाटा तैयार कर लिया था और जुलाई 2021 में WHO ने हमारे आवेदन पर इमरजेंसी इस्तेमाल देने की प्रक्रिया शुरू की थी. 5 अक्टूबर को WHO के एडवाइजरी ग्रुप Strategic Advisory Group of Experts on Immunization (SAGE) ने इस वैक्सीन को क्लियर किया और आज यानी 3 नवंबर को WHO ने इसे अपनी मंजूरी दी है.
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गौरतलब है कि कोवैक्सीन को कोरोना वायरस पर 78% कारगर पाया गया है. ये वैक्सीन डेल्टा समेत कोरोनावायरस के सभी वेरिएंट पर कारगर पाई गई है. कंपनी का दावा है कि 2021 के अंत तक भारत बायोटेक इस वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बना चुकी होगी. हालांकि भारत में फिलहाल कोवैक्सीन की केवल 12 करोड़ डोज लगाई गई हैं जबकि कोवीशील्ड वैक्सीन की 94 करोड़ डोज लगाई गई हैं. साफ है कंपनी अभी मैन्यूफैक्चरिंग की चुनौतियों से जूझ रही है.
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