Tripura Election Results 2023: त्रिपुरा (Tripura), मेघालय (Meghalaya) और नगालैंड (Nagaland) विधानसभा चुनाव परिणाम जहां एक तरफ बीजेपी (BJP) के लिए खुशियां लाया है तो दूसरी तरफ इसमें उसके लिए कई संदेश भी हैं. कांग्रेस (Congress) और अन्य पार्टियों को भी पूर्वोत्तर के चुनावी नतीजों से सबक लेने की जरूरत है. जान लें कि साल 2023 का आगाज पूर्वोत्तर के चुनाव के साथ हुआ है. इस साल राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के चुनाव भी होने हैं. इसके बाद अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव भी हैं. पूर्वोत्तर के चुनाव से ये अंदाजा काफी हद तक लग गया कि कौन सी पार्टी कितने पानी में है. किसका जनाधार घट रहा है और कौन इसे बचा पाने में कामयाब हुआ है. आइए जानते हैं कि राजनीतिक दलों के लिए इन विधानसभा चुनावों के नतीजों में क्या संदेश छिपा है?


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पूर्वोत्तर पर दांव आया BJP के काम


पूर्वोत्तर पर दांव लगाने के बाद बीजेपी काफी हद तक कामयाब रही है. बीजेपी की जड़े पूर्वोत्तर के राज्यों में लगातार मजबूत हो रही हैं. इसी वजह से लेफ्ट के गढ़ रहे त्रिपुरा में बीजेपी ने दोबारा बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर के 50 से ज्यादा दौरे किए, चुनाव में इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिला है.


कांग्रेस के लिए अहम संदेश


कांग्रेस को पूर्वोत्तर के चुनाव में एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा है. उसका सियासी स्पेस लेने के लिए क्षेत्रीय पार्टियां आ गई हैं. त्रिपुरा में लेफ्ट के साथ कांग्रेस का गठबंधन भी काम नहीं आया. पहली बार चुनावी मैदान में उतरी पार्टी टिपरा मोथा ने जनजातीय वोटर्स को अपने पाले में कर लिया. इसके अलावा मेघालय में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाई. मेघालय में टीएमसी की पहली बार 5 सीटें आईं तो वहीं, कांग्रेस की सीटें घटकर 5 रह गईं.


गठबंधन हुआ फेल!


पूर्वोत्तर की लड़ाई में भी गठबंधन फेल हो गया है. बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस का लेफ्ट से गठबंधन पश्चिम बंगाल चुनाव की तरह त्रिपुरा में भी फेल रहा. कांग्रेस का ये प्रयोग सफल नहीं हुआ. बिना होमवर्क और तैयारी के सिर्फ गठबंधन करके चुनाव में उतरने से कांग्रेस को फायदा नहीं हो रहा है.


BJP के लिए क्या है सबक?


विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही बीजेपी के पक्ष में आए हैं लेकिन ट्राइबल वोट बैंक उसके लिए चिंता विषय है. बीजेपी नेता जनजाति के लिए काफी काम करने का दावा करते हैं, लेकिन त्रिपुरा चुनाव में एसटी वोटर टिपरा मोथा के साथ जाते हुए दिखाई दिए. बीजेपी ने चुनाव से पहले टिपरा मोथा से बात भी की थी लेकिन वह साथ नहीं आई.


उपचुनाव में सत्तारूढ़ दलों को झटका


इस उपचुनाव में राज्यों में सत्ता पर काबिज दलों को झटका लगा है. जहां महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे गुट का कैंडिडेट हार गया तो वहीं पश्चिम बंगाल में टीएमसी उम्मीदवार को कांग्रेस कैंडिडेट ने मात दी. इसके अलावा झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की हार हुई. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को भले ही जीत मिली लेकिन झारखंड में मात उसके लिए चिंता का सबब बन सकती है.


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