Donald Trump Assassination Attempt: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर रविवार को पेंसिल्वेनिया में चुनावी रैली के दौरान जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वो बाल-बाल बच गए. हमले के दौरान गोली उनकी सिर से 1 इंच की दूरी से उनके दाहिने कान के ऊपरी हिस्से को छूती हुई निकल गई, जिससे वो घायल हो गए और कान से खून निकलने लगा. इसके बाद इंटरनेट पर बहस छिड़ गई है कि क्या किसी दैवीय शक्ति ने ट्रंप की जान बचाई. मैट वालेस नाम के एक एक्स यूजर ने इसे चमत्कार बताया तो कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास (Radharamn Das) ने ट्वीट करते हुए दावा किया है कि भगवान जगन्नाथ ने ट्रंप को बचाया है. इसके साथ ही उन्होंने एक 48 साल पुराना किस्सा भी सुनाया, जब डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क में रथ यात्रा निकालने में मदद की थी.


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क्या भगवान जगन्नाथ ने बचाई ट्रंप की जान?


मैट वालेस नाम के एक एक्स यूजर ने डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के दौरान की एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, 'अवास्तविक. इस फोटो में गोली साफ दिखाई दे रही है. अगर ट्रंप ने उस समय अपना सिर नहीं घुमाया होता तो उनकी जान चली गई होती. ईश्वरीय हस्तक्षेप!' इसको रीट्वीट करते हुए कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास (Radharamn Das) ने लिखा, 'हां, निश्चय ही यह दैवी हस्तक्षेप है. ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव को बचाया था. आज, जब दुनिया फिर से जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, ट्रंप पर हमला हुआ और जगन्नाथ ने उन्हें बचाकर बदला चुकाया.'



राधारमण दास ने सुनाया 48 साल पुराना किस्सा


इसके साथ ही राधारमण दास (Radharamn Das) ने 48 साल पुराना किस्सा भी सुनाया, जब ट्रंप ने रथयात्रा के आयोजन में मदद की थी. उन्होंने लिखा, 'जुलाई 1976 मे डोनाल्ड ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए अपना ट्रेन यार्ड मुफ्त में देकर इस्कॉन भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी. आज, जब दुनिया 9 दिवसीय जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है तो उन पर यह भयानक हमला और उनका बाल-बाल बच जाना जगन्नाथ के हस्तक्षेप को दर्शाता है. ब्रह्मांड के भगवान महाप्रभु जगन्नाथ की पहली रथ यात्रा 1976 में न्यूयॉर्क शहर की सड़कों पर शुरू हुई थी, जिसमें तत्कालीन 30 वर्षीय संयुक्त राज्य अमेरिका के उभरते रियल एस्टेट मुगल डोनाल्ड ट्रंप ने मदद की थी.'


उन्होंने आगे लिखा, 'करीब 48 साल पहले, जब इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) न्यूयॉर्क शहर में पहली रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रहा था तो उनके सामने कई चुनौतियां थीं. जबकि, फिफ्थ एवेन्यू में परेड की अनुमति मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था, लेकिन रथ बनाने के लिए एक विशाल खाली जगह ढूंढ़ना भी कभी आसान नहीं था. उन्होंने हर संभव व्यक्ति के दरवाजे खटखटाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कृष्ण भक्तों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे.'


कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष ने लिखा, 'जब 1976 में इस्कॉन अपना 10वां जन्मदिन मना रहा था, तब न्यूयॉर्क के भक्त वहां पहली बड़ी रथ यात्रा की योजना बना रहे थे. हमें फिफ्थ एवेन्यू का उपयोग करने की अनुमति थी, जो वास्तव में एक बड़ी बात है. लेकिन, हमें परेड मार्ग के शुरुआती बिंदु के पास एक खाली जगह की जरूरत थी, ताकि लकड़ी की बड़ी गाड़ियां (रथ) बनाई जा सकें. हमने जिससे भी पूछा, सभी ने मना कर दिया. वे बीमा जोखिमों आदि के बारे में चिंतित थे, जो समझ में आता है.'


फिर डोनाल्ड ट्रंप ने कर दिया हां


राधारमण दास (Radharamn Das) ने आगे लिखा, 'भक्तों की हताशा चरम पर पहुंच गई थी और उम्मीदें लगभग टूट चुकी थीं. रथ बनाने के लिए पेंसिल्वेनिया रेल यार्ड को एकदम सही स्थान के रूप में चिह्नित किया गया था, लेकिन कथित तौर पर फर्म मालिकों से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि वो संपत्ति बेच रहे हैं. कुछ दिनों बाद किसी ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप ने पुराने रेलवे यार्ड को खरीद लिया है. लेकिन, फिर भी चिंताएं थीं, क्योंकि एक दर्जन अन्य मकान मालिकों ने पहले ही मना कर दिया था और ट्रंप इससे अलग क्यों होंगे?'


उन्होंने आगे लिखा, 'फिर भी, भक्त महाप्रसादम की एक बड़ी टोकरी और एक प्रेजेंटेशन पैकेज लेकर डोनाल्ड ट्रंप के कार्यालय गए. उनके सचिव ने इसे ले लिया, लेकिन भक्तों को चेतावनी दी कि वे इस तरह की चीज के लिए कभी सहमत नहीं होते. आप पूछ सकते हैं, लेकिन वे मना करने वाले हैं. फिर भक्तों ने कहा कि महाप्रभु पर विश्वास रखें और चमत्कार होना तय है! तीन दिन बाद ट्रंप के सचिव ने भक्तों को फोन करके कहा, 'मुझे नहीं पता कि क्या हुआ, लेकिन उन्होंने आपका पत्र पढ़ा और आपके द्वारा दिया गया थोड़ा सा प्रसाद लिया और तुरंत कहा जरूर, क्यों नहीं? इसके बाद सचिव ने कहा कि आएं और डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा साइन की गई परमिशन लेटर ले जाएं. हां, ट्रंप ने रथ यात्रा गाड़ियों के निर्माण के लिए खुले रेल यार्ड का उपयोग करने की अनुमति देने वाले कागजात पर हस्ताक्षर किए थे.'


रथ निर्माण के लिए जगह मिलने के बाद नई चुनौती


राधारमण दास ने आगे बताया, 'परेड परमिट के लिए स्वीकृति प्राप्त करना भक्तों के लिए एक और कठिन कार्य था. हरे कृष्ण आंदोलन की ओर से परमिट प्राप्त करने के प्रभारी तोसन कृष्ण दास ने अधिकारियों को एक लिखित प्रस्ताव प्रस्तुत किया था. पुलिस विभाग ने शुरू में हां कहा था, लेकिन फिर से उन्होंने मना कर दिया, क्योंकि 1962 से मेयर का आदेश था कि फिफ्थ एवेन्यू पर नए परेड की अनुमति नहीं दी जाए. कोई विकल्प नहीं बचा होने पर तोसन दास ने अंततः मैनहट्टन में पुलिस प्रमुख से संपर्क किया. किसी को भी इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि पुलिस प्रमुख आवेदन पर क्या प्रतिक्रिया देंगे. लेकिन, सावधानीपूर्वक समीक्षा के बाद पुलिस प्रमुख ने मुस्कुराते हुए कागजात पर हस्ताक्षर किए. प्रमुख ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं. और फिर उन्होंने इस पर हस्ताक्षर कर दिए.'


भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद मानते हैं भक्त


राधारमण दास ने आगे लिखा, 'अन्य कॉर्पोरेट कंपनी मालिकों की तरह डोनाल्ड ट्रंप भी आसानी से प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकते थे. भक्तों को लगा कि पुलिस प्रमुख भी अपवाद नहीं थे. उन्होंने 'नहीं' क्यों नहीं कहा, इस सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला है. भक्त इसे भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद मानते हैं.'