गोरखपुर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत को लेकर यूपी पुलिस कठघरे में है. खाकी के दामन पर हत्या के आरोप के दाग लगे हैं, जिन्हें धोना उसके लिए मुश्किल साबित हो रहा है. यूपी पुलिस ने मनीष गुप्ता की मौत (Manish Gupta Death Case) को दुर्घटना करार दिया है, लेकिन परिवार का दावा है कि पुलिसवालों ने पीट-पीट कर मनीष गुप्ता की हत्या की. ज़ी न्यूज़ ने कानपुर से लेकर गोरखपुर तक पड़ताल की, जिसमें पुलिस की थ्योरी पर 10 सवाल सामने आए. शायद इन्हीं 10 सवालों में मनीष की मौत का सच छिपा है.


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सवाल नंबर 1- क्या मनीष गुप्ता की मौत सचमुच गिरने के कारण हुई?


मनीष गुप्ता की मौत के बाद उनका परिवार गम में डूबा है. इस मामले में गोरखपुर पुलिस पर उंगली उठ रही है. मनीष गुप्ता की पत्नी पुलिस को अपने पति की मौत का जिम्मेदार ठहरा रही हैं. ऐसे में यूपी पुलिस के एक आला अधिकारी ने अहम बयान दिया. उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि मनीष गुप्ता के पास कोई आईडी प्रूफ नहीं था. पुलिस ने मनीष गुप्ता से आईडी दिखाने को कहा. आईडी कार्ड नहीं होने की वजह से मनीष गुप्ता भागे. इसी दौरान गिरने से उनकी मौत हुई.


यानी एक तरह से देखा जाए तो एडीजी ने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को हत्या के आरोपों पर क्लीन चिट दे दी. जबकि मनीष गुप्ता की पत्नी ने अपनी शिकायत में गोरखपुर के उन पुलिसवालों का नाम लिखा है, जिस पर उन्हें अपनी पति की हत्या करने का शक है. एफआईआर में भी तीन पुलिसकर्मियों ने नाम दर्ज हैं जबकि तीन अज्ञात पुलिसवालों पर भी केस दर्ज किया गया है. लेकिन यूपी पुलिस के इस दावे पर कई सवाल खड़े होते हैं. 


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सवाल नंबर 2- जब पुलिस पहुंची तो मनीष गुप्ता होटल के कमरे में सो रहे थे, फिर वो कहां से गिरे और कैसे गिरे?


पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष गुप्ता के सिर पर गहरी चोट थी. शरीर पर भी घाव के निशान थे.


सवाल नंबर 3- चोट मनीष गुप्ता की मौत की वजह बनी. क्या कोई व्यक्ति अगर होटल के कमरे में गिरे तो उसे इतनी गहरी चोट लग सकती और इतने जानलेवा जख्म बन सकते हैं?


यूपी पुलिस के इस दावे पर भी सवाल खड़ा होता है कि मनीष गुप्ता के पास आईडी नहीं थी.


सवाल नंबर 4- इसी से जुड़ा चौथा सवाल है कि क्या इस बात पर विश्वास किया जा सकता है कि मनीष गुप्ता बिना कोई आईडी लिए ही कानपुर से गोरखपुर पहुंच गए?


मनीष गोरखपुर के एक बड़े होटल में ठहरे थे. अगर मनीष गुप्ता के पास आईडी नहीं थी तो उन्हें होटल में रूम कैसे मिला? आजकल तो अगर आपके पास आईडी कार्ड की हार्ड कॉपी नहीं भी हो तो आप डिजिटल आईडी दिखा सकते हैं. ऐसे में पुलिस के दावे पर यकीन करना मुश्किल है. इससे जुड़े कुछ और अहम सवाल हैं जिसका जवाब मिलना अभी बाकी है.


सवाल नंबर 5- अगर किसी व्यक्ति के पास आईडी नहीं भी है और उसने कोई गुनाह नहीं किया तो वो क्यों भागेगा? अब तक की जानकारी के मुताबिक, मनीष गुप्ता बेकसूर थे. पुलिस ने उन पर किसी तरह का इल्जाम नहीं लगाया है. तो फिर उन्हें भागने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या पुलिस ने मनीष गुप्ता के साथ मारपीट की, जिससे बचने के लिए वो भागे और इसी दौरान गिर पड़े. गोरखपुर के कृष्णा पैलेस होटल में कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत हुई. यहीं रूम नंबर 512 में मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ ठहरे थे. इसी होटल में मनीष की मौत का राज छिपा है.


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सवाल नंबर 6- यूपी पुलिस आखिर आधी रात के वक्त होटल में चेकिंग क्यों कर रही थी? क्या पुलिस को होटल में किसी संदिग्ध के ठहरने का इनपुट मिला था?


अगर हां तो वहां से उस रात किस संदिग्ध या किस अपराधी को पकड़ा गया? सवाल ये भी है कि पुलिस को ये कैसे पता चला कि होटल के रूम नंबर 512 में ही संदिग्ध ठहरे हुए हैं. जबकि वहां कारोबारी मनीष गुप्ता और उनके दोस्त सो रहे थे. या तो पुलिस का इनपुट गलत था या वो झूठ बोल रही है.


मनीष गुप्ता की मौत के बाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें गोरखपुर के एसएसपी और डीएम मीनाक्षी गुप्ता को इंसाफ का भरोसा दिला रहे हैं, दोषी पुलिसवालों पर एक्शन की बात कर रहे हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि इस मामले में एफआईआर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद दर्ज की गई.


लेकिन सवाल उठता है कि एसएसपी साहब का दावा अगर ठोस है तो फिर मनीष गुप्ता की मौत के मामले में गोरखपुर के 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड क्यों किया गया? अगर ये महज एक हादसा था, हत्या नहीं तो फिर कार्रवाई करने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यूपी पुलिस दुर्घटनाओं के लिए भी अपने जवानों और अधिकारियों पर कार्रवाई करती है?


सवाल नंबर 7- इतना ही नहीं, सवाल तो ये भी बनता है कि अगर होटल में चेकिंग करने गई पुलिस की टीम ने कोई गलती नहीं की थी और मनीष की मौत दुर्घटनावश हुई तो फिर वो तमाम आरोपी अधिकारी फरार क्यों हैं? इसलिए पुलिस की थ्योरी अपने आप में विरोधाभासी है.


आरोप है कि गोरखपुर के जिस होटल में ये वारदात हुई, वहां से सबूत मिटा दिए गए. बताया जाता है कि घटनास्थल की सफाई कर दी गई. कमरे में पड़े खून के दाग भी साफ कर दिए गए.


सवाल नंबर 8- सवाल है कि होटल में सबूत मिटाने के आरोप किस हद तक सही हैं?


होना तो ये चाहिए था कि होटल के जिस कमरे में मनीष गुप्ता और उनके दोस्त ठहरे थे, उसे तुरंत सील कर दिया जाता ताकि साक्ष्यों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो और आने वाले समय में जो एजेंसियां इस मामले की जांच करेंगी, उन्हें तमाम सबूत मौका ए वारदात से मिल जाएं. लेकिन आरोप है कि गोरखपुर पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती. फॉरेंसिक जांच पूरी हुए बिना होटल के कमरे में सबूतों से छेड़छाड़ की गई.


सवाल नंबर 9- आखिर होटल के सीसीटीवी की फुटेज में क्या है? क्या सीसीटीवी में मनीष गुप्ता की मौत का सच छिपा है?


मनीष गुप्ता की मौत पुलिस की पिटाई से हुई या फिर गिरने से, इस सवाल का जवाब सीसीटीवी रिकॉर्डिंग से मिल सकता है. अगर पुलिस के पास सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग है तो पुलिस ने उसे मनीष गुप्ता के परिवार के साथ साझा क्यों नहीं किया? पुलिस ने होटल के अंदर की फुटेज परिवार को क्यों नहीं दिए? इसके साथ ही ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि आखिर गोरखपुर पुलिस जब मनीष गुप्ता के कमरे की चेकिंग के लिए पहुंची तो पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की गई?


आम तौर पर पुलिस मास्क नहीं पहनने पर चालान काटने जैसी बातों पर भी रिकॉर्डिंग करती है ताकि वक्त पड़ने पर उसे सबूत के तौर पर पेश किया जा सके, लेकिन इस मामले में वीडियो रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की गई?


सवाल नंबर 10- मनीष गुप्ता के कमरे से खून से सना तौलिया मिला. क्या तौलिए से मौत का रहस्य खुल सकता है?


सवाल है कि क्या जो तौलिया मनीष गुप्ता की कथित तौर पर मिला, उस पर उनके पति के खून के धब्बे थे. इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद मनीष गुप्ता का मोबाइल फोन और पर्स गायब हो गया. अगर ये सही है तो सवाल उठता है कि आखिर पुलिस की मौजूदगी के बावजूद किसने उनका पर्स और मोबाइल फोन उठाया. क्या इसके पीछे कोई साजिश है? मनीष गुप्ता की मौत के मामले में एफआईआर तो दर्ज कर ली गई है लेकिन उसमें भी एक बड़ा सवालिया निशान है.


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