नई दिल्ली: हिंसक विरोध पर सेना प्रमुख बिपिन रावत (Bipin Rawat) के बोल पर सियासत तेज हो गई है. AIMIM के अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आर्मी चीफ को दफ्तर तक सीमित रहने की सीख दी. वहीं JDU के नेता केसी त्यागी का मानना है कि सेना प्रमुख होने के नाते उन्हें पॉलिटिकल स्टेटमेंट से दूर रहना चाहिए. जनरल रावत ने कहा था- नेतृत्व मतलब सही दिशा में ले जाना, वो नहीं जो कॉलेज में दिख रहा है. सेना प्रमुख ने कहा कि नेतृत्व का मतलब होता है नेता जो सही दिशा में ले जाए, लोगों को सही राय दे. दिल्ली में एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख ने सेना के जवानों की तारीफ भी की. सवाल उठता है कि सेना को अभिव्यक्ति की आज़ादी का हक क्यों नहीं? 


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सवाल ये भी हैं:  
1. सेना के 'शांति मिशन' पर विपक्ष का 'ग्रहण'?
2. सेना को अभिव्यक्ति की आज़ादी का हक़ नहीं ? 
3...तो अब सेना की 'सीमा' तय करेंगे ?
4. जो आग लगाएगा वही नेता कहलाएगा ?
5. सेना के 'शांति संदेश' पर सियासत क्यों ?


AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जनरल रावत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आर्मी चीफ ने बात जो भी कही है वो कहकर मोदी सरकार को कमजोर कर रहे हैं. प्रदर्शन में क्या करना है आपको, ये तो सरकार को कमजोर कर रहे हैं. ये तो सरकार की बेइज्जती हो रही है इस तरह के बयान देकर. सवाल यही है कि क्या अब सेना की 'सीमा' तय करेंगे?


जो आग लगाएगा वही नेता कहलाएगा?
नागरिकता कानून पर दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया है. अमित शाह ने कहा है दिल्ली में अशांति फैलाने की कोशिश की गई। गृह मंत्री ने कहा है कि विपक्षी दलों ने भ्रम फैलाकर लोगों को गुमराह किया है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिंसक प्रदर्शनों की निंदा की है. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "मैं कहना चाहता हूं ये कांग्रेस पार्टी, इसके नेतृत्व में 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' से जो दिल्ली के अशांति के लिए जिम्मेदार हैं. इसको दंड देने का समय आ गया है, दिल्ली की जनता को दंड देना है."   


 



सच्चे नेता का धर्म बताया तो विपक्ष को गुस्सा क्यों आया?
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि कभी देश में ऐसा हुआ, आज़ादी के काल में भी ऐसा चीज कभी नहीं हुआ. ये तो आज़ादी के समय में भी नहीं हुआ. ये भी आज बीजेपी की सरकार ये अत्याचार कर रही है सबके ऊपर.