नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने रोहिंग्या शरणार्थियों के एक समूह को वापस म्यांमार भेजने के भारत के फैसले पर अफसोस जताया है. एजेंसी ने भारत से स्पष्टीकरण मांगा है कि किन परिस्थितियों के तहत उसने यह फैसला किया. 


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संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने पत्रकारों से कहा, 'संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) कार्यालय ने शुक्रवार को कहा है कि उसे रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत से वापस म्यांमा भेजे जाने पर अफसोस है, तीन महीने के भीतर दूसरी बार शरणार्थियों को वापस भेजा गया है'. 


शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि बृहस्पतिवार को वापस भेजे गए यह रोहिंग्या परिवार भारत में संयुक्त राष्ट्र के साथ पंजीकृत थे, जिन्हें असम में गिरफ्तार किया गया था. वह अ‍वैध रूप से भारत में दाखिल होने के आरोप में 2013 से जेल में बंद थे. एजेंसी ने कहा कि हिरासत में लिये गए लोगों के हालात जानने और उनके लौटने के फैसले की स्वैच्छिकता का आकलन करने के लिए कई बार अनुरोध किये जाने के बावजूद भारत की ओर से कोई जवाब नहीं मिला.


यूएनएचसीआर ने कहा कि अक्टूबर 2018 के बाद से यह रोहिंग्याओं को वापस भेजे जाने का तीसरा मामला है. रोहिंग्या के लिये म्यांमा वापस लौटने के लिये हालात ठीक नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में यूएनएचआरसी से पंजीकृ़त शरणार्थी और शरण चाहने वाले 18 हजार रोहिंग्या हैं, जो देश के अलग अलग हिस्सों में रह रहे हैं.


असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंत ने कहा है कि रोहिंग्या परिवार के पांच सदस्यों को म्यांमा प्राधिकारियों को सौंपा गया है. महंत ने कहा, 'उन्हे पांच साल पहले बिना यात्रा दस्तावेजों और विदेशी व्यक्ति कानून का उल्लघंन करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था'. 


(इनपुट-भाषा)