सागर: केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला (Parshottam Rupala) ने एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शुक्रवार को कहा कि वह अपने परिसर में होस्टल की ही तर्ज पर गायों के आश्रय के लिए भी एक बड़े केंद्र की स्थापना करे.


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रूपाला ने मध्य प्रदेश के सागर स्थित डॉ. हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी में कामधेनु अध्ययन एवं शोध पीठ की स्थापना कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘देश की परम्परा में समृद्धि का पता गोधन से ही लगाया जाता था. यह एक पारंपरिक धन है जो हमें समृद्धि की ओर ले जा सकता है. यूनिवर्सिटी को चाहिए कि होस्टल की ही तर्ज पर गायों के आश्रय के लिए भी एक बड़े केंद्र की स्थापना करे.’


मंत्रालय हर संभव मदद को तैयार


रूपाला ने कहा कि वह और उनका मंत्रालय भी इसमें सहयोग करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि यूनिवर्सिटी में कामधेनु अध्ययन और अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए यूनिवर्सिटी ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के साथ समझौता पत्रक पर हस्ताक्षर किए हैं.


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'हम गोवंश का महत्व भूल गए हैं'


रूपाला ने कहा, ‘भारतीय गायों की क्षमता अपार है, जरूरत इसे समझने और समझाने की है. दूध उत्पादन, खाद उत्पादन और विभिन्न औषधीय उपयोगों सहित गायों के महत्व के कई पहलुओं को हम बचपन से जानते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से, समय के साथ हम देशी गोवंश का महत्व भूल गए हैं.’


समझौते पर हुए हस्ताक्षर


इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार एवं यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर हुए हैं. कामधेनु पीठ द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों के संबंध में मंत्रालय और यूनिवर्सिटी की भूमिका को लेकर समझौता पत्रक पर हस्ताक्षर हुए. यूनिवर्सिटी की ओर से कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने और मंत्रालय प्रतिनिधि संयुक्त सचिव ओ. पी. चौधरी ने समझौता पत्रक पर हस्ताक्षर किए.


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