Weather alert: देश के कई हिस्सों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. मौसम के इन तेवरों ने न सिर्फ आम लोगों बल्कि किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है. दरअसल फरवरी में लोगों के गले सूख रहे हैं. वसंत ऋतु का तो मानो पता ही न चला हो. किसानों की सरसों की फसल समय से पहले गई है. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक उत्तर पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अगले 5 दिनों में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री अधिक रह सकता है. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि अगर मार्च में पहले के पूर्वानुमानों के तहत अगर पारा 40 डिग्री या उसके पार यानी मई-जून जैसा रहा तो गेहूं की फसल पर बुरा असर पड़ सकता है.


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40 डिग्री के पार जा सकता है पारा


इस बार समय से पहले तेज गर्मी पड़ रही है. औसत तापमान कहीं ज्यादा है. इसलिए 2023 में प्रचंड गर्मी और लू को लेकर चिंता बढ़ गई है. IMD के पूर्वानुमान के मुताबिक मार्च के पहले 15 दिनों में उत्तर पश्चिमी भारत का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे भी ऊपर जा सकता है. कुछ दिन पहले ही उत्तर पश्चिमी, मध्य और पश्चिम भारत के अधिकांश स्थानों पर अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज हो चुका है. दिल्ली की बात करें तो यहां करीब 54 साल बाद फरवरी के महीने में तीसरा सबसे गर्म दिन रिकॉर्ड गया है.


किसानों की बढ़ी चिंता


मौसम विभाग के मुताबिक फरवरी में असामान्य रूप से गर्म मौसम होने की वजह मजबूत पश्चिमी विक्षोभ का नहीं रहना है. क्योंकि इसी मजबूत पश्चिमी विक्षोभ से बारिश होती है जिसकी वजह से तापमान कम रहता है. मौसम विज्ञानियों के अलावा कृषि क्षेत्र के एक्सपर्ट्स का कहना है कि सामान्य से अधिक तापमान का गेहूं और अन्य फसलों पर बुरा असर पड़ सकता है.


फरवरी के इस गर्म मौसम में तापमान यूं ही चढ़ता रहा तो गेंहू के दाने समय से पहले पकने शुरू हो जाएंगे. इस वजह से गेंहू का दाना छोटा रहा सकता है. वहीं अन्य फसलों पर भी गर्म मौसम का बुरा असर पड़ सकता है. मौसम विभाग की सलाह है कि 35 डिग्री के आसपास तापमान रहने पर किसान हल्की सिंचाई का सहारा ले सकते हैं लेकिन पारा 40 के करीब पहुंचा तो मुश्किल हो जाएगी.


सरकार ने बनाई कमेटी


कृषि मंत्रालय की नजर मौसम के इस हाल पर बनी हुई है. कृषि मंत्रालय ने बीते सोमवार को कहा था कि तापमान बढ़ने से उत्पन्न स्थिति और गेहूं की फसल पर क्या इसका कोई प्रभाव पड़ सकता है तो इसकी निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है. क्योंकि अगर पैदावार कम हुई तो गेहूं और आटे के दाम बढ़ सकते हैं. 


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