यूपी चुनाव में सक्रिय हुआ संयुक्त किसान मोर्चा, BJP को हराने के लिए तैयार की ये रणनीति
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने यूपी के किसानों से बीजेपी को सबक सिखाने की अपील की है. SKM के नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने मोर्चा ने बीजेपी को सत्ता से हटाने की योजना तैयार कर ली है. इस नई रणनीति पर अमल भी शुरू हो गया है.
Farmers Protest: करीब एक महीने शांत रहने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) एक बार फिर केंद्र सरकार के विरोध में उतर आया है. SKM ने यूपी के किसानों से अपील की कि आंदोलन स्थगन के वक्त सरकार ने उससे जो वादे किए थे, वे अब तक पूरे नहीं किए हैं. लिहाजा आने वाले यूपी असेंबली चुनाव (UP Assembly Election 2022) में वे बीजेपी को दंडित करें.
'सरकार ने दोनों वादे पूरे नहीं किए'
स्वराज इंडिया (Swaraj India) के अध्यक्ष और SKM के नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने कहा कि जब मोर्चा ने आंदोलन स्थगित किया था तो सरकार ने वादा किया था कि वह फसलों पर MSP तय करने के लिए पैनल का गठन करेगी. साथ ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों को भी वापस लिया जाएगा. लेकिन सरकार ने इन दोनों वादों पर कोई अमल नहीं किया. इसलिए SKM ने यूपी के किसानों से बीजेपी को दंडित करने का आह्वान किया है.
'चुनावों में BJP को सजा दें यूपी के किसान'
योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘SKM ने उत्तर प्रदेश के किसानों से अपील की है कि किसानों से छल करने के लिए आगामी चुनावों में भाजपा को दंडित करें. सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं की हैं. एमएसपी के लिए अभी तक न तो समिति गठित की गई है और न ही किसानों के खिलाफ मामले वापस लिए गए हैं.’
'यूपी में कई जगह करेंगे प्रेस वार्ता'
उन्होंने कहा, ‘हम मेरठ, कानपुर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर और लखनऊ सहित नौ स्थानों पर आगामी दिनों में संवाददाता सम्मेलन आयोजित करेंगे. पूरे उत्तर प्रदेश में हमारी अपील वाले पर्चे वितरित किए जाएंगे. SKM का किसी पार्टी के लिए वोट मांगने से कोई लेना-देना नहीं है. मोर्चा गैर राजनीतिक था और रहेगा.
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'SKM ने एक साल तक किया था आंदोलन'
बताते चलें कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने केंद्र के 3 कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर करीब एक साल तक आंदोलन किया था. इस मोर्चा में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसान शामिल थे. किसान आंदोलन के दबाव में सरकार ने आखिरकार तीनों कानून वापस ले लिए, जिसके बाद मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी.
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