लखनऊ: समाजवादी पार्टी और बहुजन समान पार्टी के गठजोड़ के बाद बीजेपी थोड़ा बैकफुट पर नजर आ रही है. राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश से बीजेपी के दो प्रत्याशियों ने गुरुवार को नाम वापस ले लिया. इस तरह अब सूबे में संसद के उच्च सदन की 10 सीटों के चुनाव के लिए कुल 11 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं. हालांकि मुकाबला अभी भी रोचक बना हुआ है और बसपा उम्मीदवार की जीत का गणित बिगड़ सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चुनाव अधिकारी पूनम सक्सेना ने बताया कि राज्यसभा चुनाव के लिए नाम वापसी के अंतिम दिन बीजेपी प्रत्याशियों विद्यासागर सोनकर और सलिल विश्नोई ने नाम वापस ले लिया. इस तरह अब 10 सीटों के लिये 11 प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं. उन्होंने बताया कि मतदान आगामी 23 मार्च को होगा. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए अब बीजेपी के नौ तथा सपा और बसपा के एक-एक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 


बीजेपी उम्मीदवारों में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ-साथ अशोक बाजपेयी, विजय पाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, अनिल जैन, हरनाथ सिंह यादव, जीवीएल नरसिम्हा राव और अनिल अग्रवाल शामिल हैं. वहीं, सपा ने जया बच्चन तथा बसपा ने भीमराव अम्बेडकर को प्रत्याशी बनाया है.


कुछ इस तरह है बीजेपी का गणित
जानकारों की मानें तो राज्यसभा चुनाव में बीजेपी क्रॉस वोटिंग की उम्मीद कर रही है. हाल ही में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने कहा था कि पार्टी के पास 8 उम्मीदवार जिताने के बाद 28 वोट अतिरिक्त बच रहे हैं. ऐसे में निर्दलीय विधायकों के साथ मिलाकर हमारे 9वें उम्मीदवार की जीत तय है. पर हाल ही में मिली लोकसभा हार के बाद बीजेपी का मनोबल थोड़ा गिरा है. वहीं, सपा और बसपा के पक्ष में माहौल नजर आने लगा है. ऐसे में बीजेपी अपनी रणनीति में कितनी सफल हो पाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.


बसपा उम्मीदवार की राह भी आसान नहीं
बीजेपी द्वारा 9वां प्रत्याशी उतार देने से चुनाव रोचक तो हो गया है लेकिन बीएसपी उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर की राह मुश्किल हो गई है. राज्यसभा चुनाव में किसी एक उम्मीदवार को जिताने के लिए 37 प्रथम वरीयता वाले मतों की जरूरत होगी. प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास 324 विधायक हैं. उस लिहाज से बीजेपी अपने आठ उम्मीदवारों को आसानी से राज्यसभा पहुंचा सकती है. इसके बावजूद उसके पास 28 वोट बच जाएंगे. सपा के पास 47 विधायक हैं और वह एक उम्मीदवार को आसानी से चुनाव जिता सकती है. इसके बावजूद उसके पास 10 वोट बचे रह जाएंगे. बसपा के पास 19 सदस्य है, लिहाजा उसे अपना उम्मीदवार जिताने के लिए सपा के 10, कांग्रेस के 7 और राष्ट्रीय लोकदल के एक उम्मीदवार का समर्थन चाहिए.


नितिन अग्रवाल के वोट पर लगी सबकी निगाहें 
सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल के बीजेपी में चले जाने के बाद उनके बेटे और हरदोई से सपा विधायक नितिन अग्रवाल के बीजेपी के पक्ष में वोट डालने की प्रबल संभावना है. हालांकि नितिन ने अभी तक सपा से नाता तोड़ने का सार्वजनिक ऐलान नहीं किया है. ऐसे में बसपा उम्मीदवार के जीतने की राह मुश्किल हो गई है.