UP: सीएए से 37 हजार लोगों के चेहरे पर खिली मुस्कान, जल्द मिलेगी भारत की नागरिकता
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UP: सीएए से 37 हजार लोगों के चेहरे पर खिली मुस्कान, जल्द मिलेगी भारत की नागरिकता

इन लोगों ने बताया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होने पर तमाम तरह से यातनाएं दी जाती थीं. उन्होंने बताया कि उन्हें धार्मिक आयोजन करने की मनाही थी. महिलाओं की इज्जत पर हमेशा खतरा रहता था.

(सांकेतिक तस्वीर)

विनोद मिश्रा/पीलीभीत: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में हिंसक प्रदर्शन किए गए थे. यूपी में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 20 लोगों की मौत भी हो गई थी. इन सबके बीच 40 साल बाद पीलीभीत के करीब 40 हजार लोगों को सीएए के कारण खुशी मिली है. दरअसल, ये सभी लोग यूपी के पीलीभीत जिले में रहते हैं. यूपी के इस जिले में करीब 37 हजार शरणार्थी रहते है. इनमें से कोई 1960, कोई 1962 और कोई 1970 में अपने परिवार के साथ यहां आया और यहीं का होकर रह गया.

पाकिस्तान से आई शरणार्थी मौनी विश्वास बताती हैं कि 1962 में जब वे यहां आई थीं तो, उनकी उम्र 6 साल की थी. वह अपने पिता के साथ तीन भाइयों के साथ हिंदुस्तान आई थीं. उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी मजदूरी से गुजरती है. उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तान को अपना मुल्क मानते हैं और फैसला है कि यही रहना है. उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले से बेहद खुश हैं और लगता है कि जो समस्याएं अब तक झेलते रहे हैं, उससे निजात मिलेगी.

ये कहानी सिर्फ मौनी की नहीं है, ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्हें इस फैसले का लंबे समय से इंतजार था. खासकर युवाओं को जिन्होंने इस देश में इसी धरती पर जन्म तो लिया, लेकिन वो सम्मान कभी भी नहीं मिल पाया, जिसकी चाहत इन्हें पाकिस्तान से हिंदुस्तान खींचकर लाई थी. लंबे समय तक घुसपैठिये, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी होने का दंश इन्हें झेलना पड़ा. अब ये युवा बेहद खुश हैं. इनको लगता है कि नागरिकता मिलने से इनके ऊपर लगा हुआ दाग धुल जाएगा. वह दंश मिट जाएगा. समानता का अधिकार मिल पाएगा. 

युवाओं का कहना है कि स्कूल में पढ़ाई, नौकरी करने आदि का हर जगह हमसे नागरिकता पूछी जाती थी. अब हम गर्व से कह पाएंगे कि हम भी हिंदुस्तानी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के एक फैसले ने जिंदगी बदल दी है. इनका मानना है कि जो मोदी सरकार ने किया, यह उसका एहसान कभी उतार नहीं पाएंगे. 

दरअसल, किसी इंसान के जीवन में उसका धर्म कितना मायने रखता है, यह जानना है तो पीलीभीत के रामनगरा की इस भागवत कथा में आइये. यहां कृष्ण की लीला में डूबे हुए लोग आपको इस बात का एहसास कराएंगे कि धर्म जीवन के लिए कितना जरूरी है. इन लोगों ने धर्म के लिए अपने देश (पाकिस्तान) को छोड़ दिया. पूर्वी पाकिस्तान में रहते हुए इन्हें इस तरह की पूजा-पाठ या धार्मिक समारोह करने की इजाजत नहीं थी. इन्होंने अपनी धार्मिक आजादी के लिये पाकिस्तान को छोड़कर हिंदुस्तान से नाता जोड़ लिया. 

इन लोगों ने बताया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होने पर तमाम तरह से यातनाएं दी जाती थीं. उन्होंने बताया कि उन्हें धार्मिक आयोजन करने की मनाही थी. महिलाओं की इज्जत पर हमेशा खतरा रहता था. अगर बात नहीं मानी तो, किशोरियों और युवतियों के साथ पाशविक और बर्बर व्यवहार किया जाता था. इन लोगों ने बताया कि वहां मास किलिंग की जाती थी. लोग बहू-बेटियों को जबरदस्ती उठा ले जाते थे. गले मे तुलसी की माला देखकर गला काट दिया जाता था. कतारों में खड़ा कर गोलियों से भून दिया जाता था.

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