महराजगंज में करीब 60 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार पाए गए हैं. इनमें से करीब 15000 बच्चे अति कुपोषित हैं. यह खुलासा जिला प्रशासन के ताजा सर्वे में हुआ है.
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महराजगंज: सरकार कुपोषण से मुक्ति के लिए हर महीने करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन अब भी भारी संख्या में मासूम बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. प्रदेश के अति पिछड़े इलाकों में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में महराजगंज जिला में काफी इजाफा हुआ है. कुपोषण को लेकर जिले की स्थिति चिंताजनक है. सीएम योगी के गृह जिले के बगल के जिले महराजगंज में करीब 60 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार पाए गए हैं. इनमें से करीब 15000 बच्चे अति कुपोषित हैं. यह खुलासा जिला प्रशासन के ताजा सर्वे में हुआ है.
कुपोषण में भारी इजाफा
सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए पंचायत स्तर पर आंगनबाड़ी सेंटर खोल रखा है, जहां एक से पांच वर्ष के बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है. लेकिन, इन सेंटरों पर मिलने वाला पौष्टिक आहार को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी जाती है जिससे आज महराजगंज जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि ताजा सर्वे में 60 हजार 500 बच्चों में कुपोषण पाया गया है जिन्हें पौष्टिक भोजन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. लंबे समय बाद कुपोषण की संख्या में इतनी वृद्धि दर्ज की गई है.
कुपोषण के मुद्दे पर विपक्ष हुआ हमलावर
इस मामले में जब हमारी टीम ने डॉक्टर से जानकारी ली तो हकीकत सामने आ गई. बच्चों को पौष्टिक भोजन न मिलने से उन्हें कुपोषण का शिकार होना पड़ता है. महिलाओं को बच्चों को पौष्टिक भोजन देना चाहिए जिससे उनका बच्चा कुपोषण से ग्रसित ना हो सके. कुपोषण के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. सपा के पूर्व विधायक कुंवर कौशल सिंह
ने कहा कि तराई का इलाका होने के बावजूद सरकार इस बिमारी को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार को चाहिए की इस समस्या को लेकर अलग से बजट आवंतटित किए जाएं, जिससे कुपोषण पर रोकथाम लग सके.
पीने को शुद्ध पानी नहीं, और खाने को पौष्टिक आहार नहीं
सवाल ये है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों को न तो पौष्टिक आहार मिल रहा है न ही पीने को शुद्ध पानी. अब देखना ये होगा कि इतने बड़े पैमाने पर मिले कुपोषण से शिकार बच्चों के बाद सरकार की नींद खुलेगी या फिर अधिकारी सरकार की योजनाओं पर बट्टा लगाते रहेंगे.