गोरखपुर से सिलीगुड़ी तब प्रस्तावित नया एक्सप्रेसवे पूर्वांचल के आधा दर्जन जिलों के लिए गेमचेंजर साबित होगा. यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा.
गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाला यह नये एक्सप्रेसवे की लंबाई 519 किलोमीटर है. इसका फायदा यूपी के तीन जिलों को मिलेगा. गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया से पश्चिम बंगाल पहुंचना आसान हो जाएगा.
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के निर्माण से इन दोनों शहरों की दूरी करीब 600 किलोमीटर कम हो जाएगी. यात्रा का समय 15 घंटे से घटकर केवल 9 घंटे रह जाएगा. साल 2028 तक इस एक्सप्रेस-वे को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक यह एक्सप्रेसवे देवरिया के 25 गांवों से होकर गुजरेगा. गोरखपुर में यह एक्सप्रेसवे जगदीशपुर से शुरू होगा.
इस एक्सप्रेसवे का 84 किलोमीटर हिस्सा, गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर में पड़ेगा. जगदीशपुर से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे 25 गांवों से गुजरता हुआ कुशीनगर पहुंचेगा.
कुशीनगर के तमकुहीराज तहसील के गांवों से बिहार के गोपालगंज बार्डर में प्रवेश करेगा. देवरिया में 150 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जाएगी.
एक्सप्रेसवे का पूरा हिस्सा ग्रीनफील्ड होगा. इसका निर्माण आबादी वाले क्षेत्रों से हटकर किया जाना है. गोरखपुर और कुशीनगर के किन गांवों से यह एक्सप्रेसवे गुजरेगा इसका ब्योरा जुटाया जा रहा है.
हालांकि, माना जा रहा है कि देवरिया के 25 गांवों समेत गोरखपुर और कुशीनगर के कुल 111 गांवों से गुजरने वाला है. कुशीनगर के तमकुहीराज के 42 गांव, हाटा के 19 गांव, कसाया के 13 गांव शामिल हैं.
इसके अलावा चौरी चौरा के 14 गांव, देवरिया सदर के 25 गांव शामिल हैं. वहीं, बिहार के 8 जिलों से होकर गुजरेगा. इसमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं.
यूपी से गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे करीब 84.3 किलोमीटर गुजरेगा. जबकि बिहार का 416 किलोमीटर, पश्चिम बंगाल में इसका 18.97 किलोमीटर हिस्सा है.
गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक जाने वाले इस एक्सप्रेस-वे से उत्तर प्रदेश बिहार और पश्चिम बंगाल तक का सफर बेहद सुविधाजनक और कम समय में पूरा हो सकेगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस एक्सप्रेसवे को बाद में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से भी जोड़ने की तैयारी की जा रही है. इससे दिल्ली जाने का रास्ता आसान हो जाएगा.
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