क्या है 600 साल पुराना राधा वल्लभ संप्रदाय, प्रेमानंद महाराज भी इस पंथ के गुरु
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क्या है 600 साल पुराना राधा वल्लभ संप्रदाय, प्रेमानंद महाराज भी इस पंथ के गुरु

Premanand Maharaj sampradaya: अपने उपदेशों से लोगों के दिलों पर राज करने वाले मथुरा-वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के बारे में लोग हमेशा जानना चाहते हैं कि इनका जन्म कहां हुआ और ये किस संप्रदाय से आते हैं. आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज किस संप्रदाय से आते हैं.

क्या है 600 साल पुराना राधा वल्लभ संप्रदाय, प्रेमानंद महाराज भी इस पंथ के गुरु

Premanand Maharaj: देश-दुनिया में सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध लाखों युवाओं को अपने उपदेशों से प्रभावित करने वाले वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) की शुक्रवार शाम अचानक तबीयत बिगड़ गई. प्रेमानंद जी की अचानक तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें आनन-फानन में वृंदावन के अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के बारे में लोग जानना चाहते हैं कि संत प्रेमानंद किस संप्रदाय से आते हैं.आइए जानते हैं कि संत किस संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं.

राधावल्लभ संप्रदाय से है संत प्रेमानंद
जाने माने कथावाचक प्रेमानंद महाराज राधा वल्लभ संप्रदाय (Radhavallabha sect) से नाता रखते हैं. राधा वल्लभ संप्रदाय एक वैष्णव संप्रदाय (Vaishnav sect) है जो वैष्णव धर्मशास्त्री हित हरिवंश महाप्रभु के साथ शुरू हुआ था. यह संप्रदाय, राधा को सर्वोच्च मानता है. हित हरिवंश को वंशी का अवतार माना जाता है और यह भी कहते हैं कि ये भगवान राधावल्लभ के दूत है.  इस संप्रदाय की शुरुआत हित हरिवंश महाप्रभु ने 1535 में वृंदावन में की थी. 

क्या है राधावल्लभ का अर्थ 
राधावल्लभ का अर्थ है ‘प्रभु श्री कृष्ण’. राधा वल्लभ संप्रदाय में राधा रानी की भक्ति-आराधना की जाती है. प्रेमानंद महाराज भी राधा वल्लभ संप्रदाय से आते हैं.

देवी राधा की भक्ति पर जोर
राधा वल्लभीय संप्रदाय में, प्रधान रति श्रीराधा के चरणों में रखते हैं. हरिवंश के विचार कृष्ण से संबंधित हैं लेकिन  प्राणी देवी राधा की भक्ति पर जोर देते हैं. राधा वल्लभ संप्रदाय में, राधा की उपासना और प्रसन्नता से ही कृष्ण भक्ति का आनंद मिलता है.  

31 साल तक किया एक जगह पर निवास
ऐसा कहा जाता है कि हित हरिवंश महाप्रभु ने देववन नामक स्थान पर 31 साल तक निवास किया था. अपनी उम्र के 32वें वर्ष में वे वृंदावन चले गए  थे. हित हरिवंश महाप्रभु, वंशी के अवतार थे और श्री राधा के परम भक्त थे. हित हरिवंश महाप्रभु के ज्येष्ठ पुत्र का नाम श्री वनचंद्र गोस्वामी था. उनका जन्म चैत्र (अप्रैल) महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को 1528 में देववन में हुआ. बचपन से ही श्री वनचंद्र का राधारानी के प्रति भक्ति भाव था. वह राधारानी के चरण कमलों की ओर झुके हुए थे.

कैसे जन्म हुआ राधावल्लभ देवता का
किवदंती के मुताबिक, राधावल्लभ देवता को कभी किसी मूर्तिकार ने नहीं बनाया था. यह देवता आत्मदेव नामक एक भक्त को उसकी कठिन भक्ति के कारण खुद शिव द्वारा दिया गया था. 

ब्राह्मण परिवार में हुआ प्रेमानंद महाराज का जन्म
भक्तों और सोशल मीडिया में बेहद लोकप्रिय संत श्री प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका बचपन में नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था. श्री प्रेमानंद महाराज जी का नाम राधा रानी के परम भक्तों में से एक माना जाता है. महाराज प्रेमानंद ने राधा वल्लभ सम्प्रदाय में जाकर शरणागत मंत्र लिया. इसके बाद उनके जीवन का एक ही मंत्र था-राधा नाम का जप. प्रेमानंद के गुरू गौरांगी शरण महाराज हैं. गौरांगी शरण महाराज ने उन्हें वृंदावन की प्रेम रस की महिमा को आत्मसात करने में मदद की. 

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