आगरा: देशभर में काफी सामय से वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को लेकर चर्चा हो रही है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा समिति के सामने विधेयक को समर्थन देने के साथ ही फतेहपुर सीकरी और अटाला मस्जिद का हवाला दिया गाय और वक्फ बोर्ड से देश के 120 स्मारकों को लेकर खींचतान की बात रखी गई. इससे संरक्षण कार्य और देखरेख पर असर पड़ने की बात बताई गई. 


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2005 में ताजमहल के मालिकाना हक पर बड़ा विवाद
इतना ही नहीं, हद तो तब हो गई जब साल 2005 में ताजमहल को बोर्ड ने वक्फ संपत्ति तक घोषित की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट में एएसआइ द्वारा चुनौती दी गई थी. संयुक्त समिति ने वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर आपत्ति के साथ ही सुझाव की भी मांग की है. 2005 में ताजमहल को वक्फ की संपत्ति घोषित करने के मामाले में दरअसल, मोहम्मद इरफान बेदार ने एक याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की थी जिसमें ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किए जाने की मांग उठाई गई थी. 


बोर्ड ने घोषित किया था वक्फ संपत्ति
हालांकि याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड जाने के लिए कहा था. साल 1998 में वक्फ बोर्ड से ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग मोहम्मद इरफान बेदार ने की. यहां तक कि एएसआइ को नोटिस तक बोर्ड ने जारी कर दिया था. एएसआइ ने भी अपना जवाब दाखिल किया था जिसमें विरोध जताते हुए कहा गया था कि ताजमहल उसकी संपत्ति है. इतने पर भी साल 2005 में बोर्ड द्वारा एएसआइ की आपत्ति को दरकिनार किया गया और ताजमहल को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गई. वहीं, दूसरी ओर एएसआइ ने भी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका डाली थी. 


सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ बोर्ड के आदेश पर साल साल 2010 में रोक लगाई गई और फिर साल अप्रैल, 2018 में की गई अपनी सुनवाई में कोर्ट ने टिप्पणी भी की थी. उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि सुप्रीम कोर्ट का समय इस तरह के मामलों में बर्बाद नहीं करना चाहिए. ताजमहल वक्फ संपत्ति है यह कौन विश्वास करेगा. शाहजहां के दस्तखत वाला वक्फनामा भी वक्फ बोर्ड नहीं पेश कर सका. 


ताजमहल आखिर किसका है? 
वर्ष 1920 यानी ब्रिटिश भारत में ताजमहल को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया और नोटिफिकेशन भी किया गया. इस तरह से ताजमहल भारत सरकार की संपत्ति है. वहीं अगर इससे भी पहले के समय की बात करें तो 1858 की घोषणा के मुताबिक आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से जितनी भी संपत्तियां ली गई उसका स्वामित्व ब्रिटिश महारानी के हवाले किया गया था.


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