मेरठ: शरीयत कोर्ट की तर्ज पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने बनाई 'हिंदू कोर्ट'
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मेरठ: शरीयत कोर्ट की तर्ज पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने बनाई 'हिंदू कोर्ट'

इस कोर्ट की स्थापना हिंदू धर्म से जुड़े मामलों के निपटारे के उद्देश्य से की गई है, इसमे दारुल कजा यानि शरीयत कोर्ट की ही तरह फैसले सुनाए जाएंगे.

हिन्दू अदालत न्यायाधीश के तौर पर पूजा शकुन पांडे को नियुक्त किया गया है.

नई दिल्ली/मेरठ (राजीव शर्मा): स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जहां हर कोई देश भक्ति में लीन था, वहीं मेरठ में एक अनोखी शुरुआत हुई. अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शरीयत कोर्ट की तर्ज पर देश में पहले हिंदू कोर्ट की स्थापना की है. महासभा ने इस कोर्ट की स्थापना 15 अगस्त के मौके पर मेरठ में की गई है. इस कोर्ट की स्थापना हिंदू धर्म से जुड़े मामलों के निपटारे के उद्देश्य से की गई है, इसमे दारुल कजा यानि शरीयत कोर्ट की ही तरह फैसले सुनाए जाएंगे और यहां लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा. कोर्ट में बकायदा एक जज की भी नियुक्ति की गई है. 

मेरठ में शारदा रोड स्थित अखिल भारत हिन्दू महासभा के कार्यालय पर इस न्यायपीठ की शुरुआत की गई. अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने बताया कि हमने शरीयत कोर्ट को कुछ दिन पहले कोर्ट में चुनौती दी थी, हमने कहा था कि इस कोर्ट को नहीं होना चाहिए क्योंकि संविधान सबके लिए बराबर है. 

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उन्होंने कहा कि हमने सरकार से भी पत्र लिखकर कहा था कि अगर हमारी मांगों को नहीं पूरा किया जाता है, तो हम भी इसी की तर्ज पर हिंदू कोर्ट की स्थापना करेंगे. लेकिन हमारी मांग पर कोई सुनवाई नहीं की गई, जिसके बाद हमने बुधवार (15 अगस्त) को देश की पहली हिंदू कोर्ट बनाने का फैसला लिया है. 

हिन्दू अदालत न्यायाधीश के तौर पर पूजा शकुन पांडे को नियुक्त किया गया है. दो अक्टूबर को अदालत का बायलॉज सार्वजनिक करने और नाथूराम गोडसे के फांसी के दिन 15 नवंबर को यूपी के पांच अन्य जिलों में इस तरह की अदालत खोलने का दावा भी किया गया. 

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गौरतलब है कि अखिल भारत हिन्दू महासभा गांधी आदर्शों को नहीं बल्कि नाथूराम गोडसे के आदर्शों को मानता है. हिन्दू महासभा का कहना है कि हर धर्म अपनी अदालत चला रहा है तो ऐसे में हिन्दू पीछे क्यों रहे? उनका कहना है कि वो इस अदालत में विवाह, धन और धार्मिक मामलों को इस अदालत में रखा जाएगा, जिसमें वो गोली मारने और मृत्युदण्ड देने से भी पीछे नहीं हटेंगे. 

आपको बता दें कि ये संगठन बकायदा 15 अगस्त को काले दिवस के रूप में मनाते हैं. उनका मानना है कि उस समय जो कत्ले आम हुआ उसके चलते वो 15 अगस्त को काले दिवस के रूप में मनाते हैं. 

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