Magh Mela 2024: गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के पावन संगम में बृहस्पतिवार को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ श्रद्धालुओं का महीने भर चलने वाला कल्पवास शुरू हो गया है. माघ मेला प्रशासन के मुताबिक, माघ मेले के द्वितीय स्नान पर्व, पौष पूर्णिमा के अवसर पर शाम 4:00 बजे तक लगभग 7 लाख 75 हजार लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. मेला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि पौष पूर्णिमा के अवसर पर घाटों की संख्या आठ से बढ़ाकर 12 कर दी गई है. इस तरह से घाटों की कुल लंबाई 3300 फुट से बढ़कर लगभग 6200 फुट हो गई है. 


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अधिकारी ने बताया कि बृहस्पतिवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं का मेला क्षेत्र में आना जारी है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं. पूरे मेला क्षेत्र में जगह-जगह लोगों ने श्रद्धालुओं के बीच खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया. तीर्थ पुरोहित आचार्य राजेंद्र मिश्र ने बताया कि पौष पूर्णिमा स्नान के साथ संगम क्षेत्र में लोगों का कल्पवास आज से प्रारंभ हो गया, जो एक महीने तक चलेगा. 


माघ मेला में स्नान की प्रमुख तिथि
माघ मेला इस साल करीब दो महीने तक चलेगा. माघ मेले का तीसरा स्नान 9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या पर, चौथ स्नान वसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को होगा. वहीं माघ पूर्णिमा 24 फरवरी 2024 को पांचवा स्नान और 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि पर माघ मेले का आखिरी स्नान किया जाएगा.


यह है मान्‍यता 
पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की रचना से पहले प्रयाग में ही पहला यज्ञ किया था. इसलिए माघ मास में यहां पर की गई साधना को विशेष फलदायी माना गया है. माघ मास में त्रिवेणी संगम तट पर एक माह का कठिन कल्पवास भी होता है. इस दौरान बालू की रेत पर कल्पवासी सोते हैं, एक समय का भोजन करते हैं और हर दिन सुबह, दोपहर और शाम को संगम स्नान करते हैं. पौष पूर्णिमा से शुरू होने वाला कल्पवास माघी पूर्णिमा पर्व पर समाप्त होता है. इस दौरान की गई भक्ति साधना से मनुष्य जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है. 


श्रीरामचरित मानस में भी उल्‍लेख 
गोस्वामी तुलसीदास ने प्रयागराज के माघ मास का बखान श्रीरामचरित मानस में भी किया है. उन्होंने श्रीरामचरित मानस में लिखा माघ मकर गत रवि जब होई, तीरथ-पतिहि आव सब कोई. देव दनुज किन्नर नर श्रेणी, सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी. मतलब माघ मास में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं, उसमे देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्य सब आदरपूर्वक मां त्रिवेणी की गोद में स्नान करते हैं. यही वजह है कि दुनियां का सबसे बड़ा धार्मिक प्रयागराज का माघ मेला होता है. माघ मास में हर कोई संगम की रेती पर जप, तप और साधना के लिए पहुंचता है. 


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