प्रयागराज:अपहरण के बाद रेप व जबरन शादी के आरोपी को HC से बड़ा झटका,गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका की खारिज
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प्रयागराज:अपहरण के बाद रेप व जबरन शादी के आरोपी को HC से बड़ा झटका,गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका की खारिज

प्रयागराज के उतरांव थाने में आरोपियों के चंगुल से छूटने के बाद पीड़िता की तरफ से एफआईआर दर्ज कराई गई है. पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान में आरोपों को दुहराया है. 

फाइल फोटो

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बालिग लड़की का अपहरण के बाद डरा धमकाकर शादी करने के आरोपी को संरक्षण देने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने आरोपियो द्वारा फ्रॉड करके अदालत से सरंक्षण प्राप्त करने को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है. कोर्ट ने अदालतों से भी ऐसे मामलों में सावधानी बरतने को कहा है.कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अपराध से बचने का उपाय न करने पाए. 

कोर्ट ने अपहरण, दुष्कर्म व जबरन शादी करने के आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस एसपी केसरवानी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने प्रयागराज के उतरांव थाना क्षेत्र के उमाशंकर मौर्य व रमाशंकर मौर्य की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है.

शादी से पहले कर लिया था अरहरण 
प्रयागराज के उतरांव थाने में आरोपियों के चंगुल से छूटने के बाद पीड़िता की तरफ से एफआईआर दर्ज कराई गई है. पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान में आरोपों को दुहराया है. पीड़िता ने कहा अपनी जाति के लड़के से 10 दिसंबर 2020 को उसकी सगाई हुई, 24 मई 2021 को उसकी शादी होने वाली थी. शादी से पहले ही याचियों व एक अन्य व्यक्ति ने उसका अपहरण कर लिया.

एसएसपी को संरक्षण देने का आदेश 
आरोपियों के चंगुल से छूटने के बाद 16 जून 21 को मामले में उसकी तरफ से एफआईआर दर्ज कराई गई. आरोप है कि याचियों ने युवती का अपहरण करने के बाद 12 मार्च 2021 को हाईकोर्ट में पीड़िता के नाम से याचिका दायर कर संरक्षण आदेश ले लिया कि उन दोनों के शांतिपूर्ण जीवन में कोई हस्तक्षेप न करने पाए. कोई परेशान करे तो एसएसपी संरक्षण दें.

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कर याची ने कोर्ट के साथ फ्राड किया. कोर्ट ने प्राथमिकी पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. साथ ही अदालतों से भी निजी स्वतंत्रता के नाम पर दाखिल होने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सावधानी बरतने को कहा है.

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