वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की ASI जांच के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती
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वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की ASI जांच के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती

याचिका में कहा गया है कि मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले ही फैसला रिजर्व किया हुआ है. ऐसे में हाई कोर्ट का फैसला आने तक एएसआई को जांच का आदेश देना गलत है.

 ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी. (File Photo)

मो. गुफरान/प्रयागराज: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा एएसआई सर्वेक्षण के आदेश को अंजुमन इन्तेजामिया कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनैती दी है. अपनी याचिका में अंजुमन इन्तेजामिया कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से मांग की है कि वह मस्जिद के एएसआई सर्वे के फैसले पर रोक लगाए.

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याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले ही फैसला रिजर्व किया हुआ है. ऐसे में हाई कोर्ट का फैसला आने तक एएसआई को जांच का आदेश देना गलत है. वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 (Places of Worship (Special Provisions) Act 1991) के आदेश की अनदेखी की है. वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस 8 अप्रैल को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की एएसआई जांच का आदेश दिया था.

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काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष का दावा क्या है?
एएसआई की पांच सदस्यीय कमेटी, जिसमें दो मुस्लिम व तीन अन्य धर्म के सदस्य शामिल होंगे, मस्जिद परिसर की पुरातात्विक जांच करेगी. इस मामले में काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष का कहना है कि 1664 में मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को नष्ट किया था और उसके अवशेषों पर ही मस्जिद का निर्माण किया गया है. वास्तविकता जानने के लिए ही वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया है.

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ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष का क्या है क​हना?
वहीं ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष के मुताबिक 1991 के पूजा स्थल कानून का यह खुले तौर पर उल्लंघन है. 1991 में बने पूजा स्थल कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्मस्थल को दूसरे धर्मस्थल में नही बदला जा सकता. अंजुमन इन्तेजामिया कमेटी ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से जल्द से जल्द सुनवाई कर वाराणसी न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है.

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